न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार किया

खबरे |

खबरे |

Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट का समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार, जानें फैसले की पांच प्रमुख बातें 
Published : Oct 17, 2023, 2:58 pm IST
Updated : Oct 17, 2023, 3:16 pm IST
SHARE ARTICLE
photo
photo

पांच जजों की पीठ ने बहुमत से ये फैसला दिया है कि समलैंगिक जोड़े को बच्चे को गोद लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है. 

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने संबंधी 21 याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई की।

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है। सुनवाई की शुरुआत में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले में उनका, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा का अलग-अलग फैसला है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी इस पीठ में शामिल हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि समलैंगिकता प्राकृतिक होती है जो सदियों से जानी जाती है और इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है।  न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि वह समलैंगिक जोड़ों को कुछ अधिकार दिए जाने को लेकर प्रधान न्यायाधीश से सहमत हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘समलैंगिक और विपरीत लिंग के संबंधों को एक ही सिक्के के दो पहलुओं के रूप में देखा जाना चाहिए।’’ न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता देना वैवाहिक समानता की दिशा में एक कदम है। न्यायमूर्ति भट्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के कुछ विचारों से सहमत और कुछ से असहमत हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने इस अहम मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय लेना संसद का काम है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का यह बयान दर्ज करता है कि केंद्र समलैंगिक लोगों के अधिकारों के संबंध में फैसला करने के लिए एक समिति गठित करेगा।

उन्होंने अपने फैसले का प्रभावी हिस्सा पढ़ते हुए केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे समलैंगिक अधिकारों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए कदम उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि लिंग-परिवर्तन ऑपरेशन की अनुमति उस आयु तक न दी जाए, जब तक इसके इच्छुक लोग इसके परिणाम को पूरी तरह समझने में सक्षम नहीं हों।

प्रधान न्यायाधीश ने पुलिस को समलैंगिक जोड़े के संबंधों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सोचना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा तथा किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है।

उन्होंने कहा कि यह कहना ‘‘गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जीवन साथी चुनने की क्षमता अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि संबंधों के अधिकार में जीवन साथी चुनने का अधिकार और उसे मान्यता देना शामिल है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संबंध को मान्यता नहीं देना भेदभाव है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘समलैंगिक लोगों सहित सभी को अपने जीवन की नैतिक गुणवत्ता का आकलन करने का अधिकार है।’’ उन्होंने कहा कि इस अदालत ने माना है कि समलैंगिक व्यक्तियों के साथ भेदभाव न किया जाना समानता की मांग है। उन्होंने कहा कि कानून यह नहीं मान सकता कि केवल विपरीत लिंग के जोड़े ही अच्छे माता-पिता साबित हो सकते हैं क्योंकि ऐसा करना समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ भेदभाव होगा।

न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर अपना फैसला 11 मई को सुरक्षित रख लिया था। केंद्र ने अपनी दलीलें पेश करते हुए न्यायालय से कहा था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर उसके द्वारा की गई कोई संवैधानिक घोषणा संभवत: ‘‘सही कार्रवाई’’ नहीं हो क्योंकि अदालत इसके परिणाम का अनुमान लगाने, परिकल्पना करने, समझने और इससे निपटने में सक्षम नहीं होगी। न्यायालय ने इस मामले में 18 अप्रैल को दलीलें सुननी शुरू की थीं।

फैसले की पांच प्रमुख बातें 

  • सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया है. इसका कहना है कि ये काम सरकार का है. 
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार एक कमिटी बना सकती है, जो समलैंगिक जोड़े से जुड़ी चिंताओं का समाधान करेगी और उनके अधिकार सुनिश्चित करेगी. 
  • पांच जजों की पीठ ने बहुमत से ये फैसला दिया है कि समलैंगिक जोड़े को बच्चे को गोद लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है. 
  • सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देने के लिए विशेष विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम को रद्द करने से इनकार कर दिया. 
  • सुप्रीम कोर्ट का मानना ​​है कि विपरीत लिंग वाले नागरिक से ट्रांसजेंडर नागरिक को मौजूदा कानूनों के तहत शादी करने का अधिकार है, यानी एक समलैंगिक लड़का एक लड़की से शादी कर सकता है.

Location: India, Delhi, New Delhi

SHARE ARTICLE

ROZANASPOKESMAN

Advertisement

 

'Bapu Surat Singh Khalsa ਵਰਗਾ ਬੰਦਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਮਿਲਣਾ ਔਖਾ' | Punjab Latest News Today

15 Jan 2025 5:33 PM

'ਨਾ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਮਾਂ, ਨਾ ਪਿਓ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਗੁਰੂ ਸਾਂਭਿਆ...' Lakha Sidhana ਦੇ ਤਿੱਖੇ ਬੋਲ

15 Jan 2025 5:32 PM

ਭੱਜ ਕੇ Marriage ਕਰਵਾਉਣ ਵਾਲੇ ਜੋੜਿਆਂ ਨੂੰ HighCourt ਦਾ ਜਵਾਬ,ਪਹਿਲਾ Police ਕੋਲ ਜਾਓ ਸਿੱਧਾ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦੇ !

09 Jan 2025 6:01 PM

ਵੱਡੀ ਖ਼ਬਰ: Oyo ਨੇ Unmarried Couples ਦੀ Hotel's 'ਚ Entry ਕੀਤੀ Ban, ਬਦਲ ਦਿੱਤੇ ਨਿਯਮ ਆਪਣੀ ਛਵੀ ਸੁਧਾਰਨਾ

09 Jan 2025 5:59 PM

Raja Warring ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕੌਣ ਬਣ ਰਿਹਾ Congress ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ? Watch Rana Gurjit Interview Live

09 Jan 2025 5:58 PM

Shambhu Border Farmer Suicide News: 'ਸਵੇਰੇ 6 ਵਜੇ ਮੈਨੂੰ ਕਹਿੰਦਾ ਸੀ ਲੰਗਰ ਦੀ ਸੇਵਾ ਤੇ ਚਲਾਂਗੇ ਫਿਰ'

09 Jan 2025 5:57 PM