महिला आरक्षण विधेयक ‘चुनावी जुमला’, महिलाओं के साथ धोखा हुआ: कांग्रेस

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महिला आरक्षण विधेयक ‘चुनावी जुमला’, महिलाओं के साथ धोखा हुआ: कांग्रेस
Published : Sep 19, 2023, 6:39 pm IST
Updated : Sep 19, 2023, 6:39 pm IST
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Women's Reservation Bill 'election gimmick', women cheated: Congress
Women's Reservation Bill 'election gimmick', women cheated: Congress

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 2021 की जनगणना कराने में विफल रही है। 

New Delhi: कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा में पेश महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ करार देते हुए कहा कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है, क्योंकि विधेयक में कहा गया है कि ताजा जनगणना और परिसीमन के बाद यह 2029 से लागू होगा।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की कोई वास्तविक मंशा होती, तो महिला आरक्षण विधेयक बिना किसी किंतु-परंतु के तुरंत लागू कर दिया गया होता।  उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 2021 की जनगणना कराने में विफल रही है। 

केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है जो जनगणना कराने में विफल रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद पहली दशकीय जनगणना के पश्चात ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा।.

रमेश ने सवाल किया कि यह जनगणना कब होगी?’’ उनके मुताबिक, ‘‘विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके पश्चात परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा। क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन?’’

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘मूल रूप से यह विधेयक अपने कार्यान्वयन की तारीख के बहुत अस्पष्ट वादे के साथ आज सुर्खियों में है। यह कुछ और नहीं, बल्कि ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट है।’’

रमेश ने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘यदि प्रधानमंत्री की महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की कोई वास्तविक मंशा होती, तो महिला आरक्षण विधेयक बिना किसी किंतु-परंतु और अन्य सभी शर्तों के तुरंत लागू कर दिया गया होता। उनके (मोदी) और भाजपा के लिए यह केवल एक चुनावी जुमला है।’’

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया, ‘‘मोदी जी ने अपने जुमलों से इस देश की महिलाओं को भी नहीं बख़्शा। महिला आरक्षण विधेयक में उनकी खोटी नीयत साफ़ हो गई। विधेयक के अनुसार, महिला आरक्षण के पहले जनगणना और फिर परिसीमन होना अनिवार्य है, मतलब 2029 से पहले ये संभव ही नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप वाक़ई में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते तो 2010 के राज्यसभा में पारित बिल को ही लोकसभा में ले आते। आधी आबादी के साथ ये जुमला ठीक नहीं है।’’

Location: India, Delhi, New Delhi

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