आंध्र प्रदेश के मंत्री और टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव नारा लोकेश भी लैटरल एंट्री के समर्थन में थे।
Lateral Entry Case: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा शनिवार को अनुबंध के आधार पर पार्श्व प्रवेश (lateral entry mode ) के माध्यम से भरे जाने वाले 45 पदों - संयुक्त सचिवों के 10 और निदेशकों/उप सचिवों के 35 - के लिए विज्ञापन जारी किए जाने के बाद एनडीए में मतभेद उभर कर सामने आए।
विज्ञापन में कहा गया है, "भारत सरकार ने संयुक्त सचिव और निदेशक/उप सचिव स्तर के अधिकारियों की पार्श्व भर्ती के लिए अधियाचना प्रस्तुत की है। तदनुसार, राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के इच्छुक प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों से संयुक्त सचिव या निदेशक/उप सचिव के स्तर पर सरकार में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं..." जहां विपक्ष ने सीधे तौर पर लेटरल एंट्री को दलितों, ओबीसी, आदिवासियों पर हमला बताया है, वहीं भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में भी दरार आ गई है और चिराग पासवान और केसी त्यागी जैसे नेताओं ने इस आदेश की आलोचना की है।
इंडियन एक्सप्रेस ने जेडी (यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी के हवाले से कहा, हम एक ऐसी पार्टी हैं जो शुरू से ही सरकारों से कोटा भरने के लिए कह रही है। हम राम मनोहर लोहिया के अनुयायी हैं। जब लोगों को सदियों से सामाजिक रूप से पिछड़ने का सामना करना पड़ रहा है, तो आप मैरिट क्यों मांग रहे हैं? सरकार का यह आदेश हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है ।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह आदेश विपक्ष को थाली में परोस कर मुद्दा सौंपने जैसा है और इसके बाद राहुल गांधी सामाजिक रूप से वंचितों के चैंपियन बन जाएंगे।
भाजपा के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी आरक्षण दिए बिना सरकारी पदों पर कोई भी नियुक्ति करने पर चिंता जताई। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष पासवान ने कहा कि वह केंद्र के समक्ष लैटरल एंट्री का मुद्दा उठाएंगे और इसमें कोई शक-शुबहा नहीं है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, "किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। इसमें कोई शक-शुबहा नहीं है। निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है और अगर इसे सरकारी पदों पर भी लागू किया जाता है तो यह किसी बड़ी समस्या से कम नहीं. यह जानकारी रविवार को मेरे सामने आई और यह मेरे लिए चिंता का विषय है ।"
इस बीच, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि नौकरशाही में पार्श्व प्रवेश 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान हो रहा है और पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया अतीत में की गई ऐसी पहल के प्रमुख उदाहरण हैं।
आंध्र प्रदेश के मंत्री और टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव नारा लोकेश भी लैटरल एंट्री के समर्थन में थे।
उन्होंने कहा कि "इनमें से कई (सरकारी) विभागों को विशेषज्ञता की आवश्यकता है और हम खुश हैं कि इसे (लेटरल एंट्री) लाया जा रहा है। हम हमेशा निजी क्षेत्र से विशेषज्ञता को सरकार में लाने के पक्ष में रहे हैं। सरकार को निजी क्षेत्र से सीखना चाहिए . हम केंद्र सरकार के इस कदम का समर्थन करते हैं क्योंकि इससे शासन की गुणवत्ता और आम नागरिक को सेवाओं की डिलीवरी
में वृद्धि होगी,"
उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के बाद जेडी (यू) और टीडीपी भाजपा के सबसे बड़े सहयोगी बनकर उभरे हैं।
बता दें कि राहुल गांधी ने सरकार के इस फैसले को दलितों और आदिवासियों के अधिकारों पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने राम राज्य के मायने ही बदल दिए हैं और संविधान को खत्म करने की साजिश रच रही है। वह बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहती है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी राहुल गांधी पर उनके इस दावे के लिए निशाना साधा कि सरकार आरक्षण प्रणाली को दरकिनार करने की कोशिश कर रही है।
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