‘इंडिया’ नाम के इस्तेमाल के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था
India' alliance New In Hindi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को 26 राजनीतिक दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ को यह नाम इस्तेमाल करने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर जवाब देने के लिए समय प्रदान किया। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विपक्षी गठबंधन के लिए ‘इंडिया’ के नाम के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली याचिका पर केवल निर्वाचन आयोग ने जवाब दाखिल किया है और अब तक याचिका में पक्षकार बनाए गए कुछ दलों को नोटिस तामील नहीं हो सका है।
पीठ ने अगस्त में इस याचिका पर नोटिस जारी किया था। 26 राजनीतिक दलों ने मिलकर ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का गठन किया है। अदालत ने राजनीतिक दलों को भी अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि दल ‘‘देश का नाम’’ और राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल कर रहे हैं। याचिकाकर्ता गिरीश भारद्वाज ने इस साल की शुरुआत में ‘इंडिया’ नाम के इस्तेमाल के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि राजनीतिक दल ‘‘हमारे देश के नाम पर अनुचित लाभ’’ उठा रहे हैं।
याचिका में राजनीतिक दलों द्वारा ‘इंडिया’ नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाने और प्रतिवादी राजनीतिक गठबंधन द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश देने की मांग की गई है। अदालत ने कार्यवाही के दौरान मौखिक रूप से कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा नहीं किया जा सकता है और मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर के लिए सूचीबद्ध की।
पीठ ने, जिसमें न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी शामिल थे, कहा, ‘‘आप राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग नहीं कर सकते।’’ वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को बताया कि वह ‘‘अधिकांश निजी उत्तरदाताओं’’ (राजनीतिक दलों) का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने गठबंधन दलों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के इस्तेमाल के आरोप का भी विरोध किया और कहा कि इस पर राष्ट्रीय प्रतीकों के इस्तेमाल के संबंध में कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि वह इस स्तर पर मामले में सुनवाई नहीं कर रही है क्योंकि जवाब अभी दाखिल नहीं किये गये हैं। अदालत ने कहा, ‘‘(केंद्र द्वारा) जवाब दाखिल होनें दें। उत्तरदाताओं को भी जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है।’