भारत का एशियाई खेलों की तीरंदाजी प्रतियोगिता में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
हांगझोउ : भारतीय महिला कंपाउंड टीम ने पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए गुरुवार को यहां रोमाचंक फाइनल में चीनी ताइपे को एक अंक से हराकर एशियाई खेलों की तीरंदाजी प्रतियोगिता में दूसरा स्वर्ण पदक जीता.
ज्योति सुरेखा वेन्नम, अदिति स्वामी और परनीत कौर की शीर्ष वरीय गत विश्व चैंपियन टीम ने फाइनल में अंतिम चरण में 60 में से 60 अंक के परफेक्ट स्कोर के साथ चीनी ताइपे की तीसरी वरीय जोड़ी को 230-229 से हराया। भारत का मौजूदा खेलों का तीरंदाजी में यह दूसरा स्वर्ण और कुल पांचवां पदक है। बुधवार को ज्योति और ओजस देवताले ने कंपाउंड मिश्रित टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था।
भारत का एशियाई खेलों की तीरंदाजी प्रतियोगिता में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। देश ने पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इंचियोन में 2014 में किया था जब उसने एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था।
देवताले और अभिषेक वर्मा पुरुष कंपाउंड वर्ग के फाइनल में जगह बनाकर भारत के लिए दो और पदक पक्के कर चुके हैं। ज्योति ने भी महिला कंपाउंड व्यक्तिगत फाइनल में जगह बनाकर पदक पक्का किया है।
भारत ने इससे पहले सेमीफाइनल में चौथे वरीय इंडोनेशिया को 233-219 से हराया जबकि क्वार्टर फाइनल में हांगकांग के खिलाफ 231-220 की आसान जीत दर्ज की। रतीह जिलिजाती फादली, सयाहारा खोएरुनिसा और श्री रांती की मौजूदगी वाली इंडोनेशिया की टीम ने कजाखस्तान की मजबूत टीम को 232-229 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।
भारतीय टीम ने इंडोनेशिया पर शुरुआत से ही दबाव बनाया और शुरुआती सेट में सभी छह तीर 10 अंक पर मारे। इंडोनेशिया की टीम 51 अंक ही जुटा सकी जिससे भारतीय टीम ने नौ अंक की बढ़त बनाई। इंडोनेशिया की टीम इस खराब शुरुआत से उबर नहीं पाई। दूसरे सेट के बाद भारतीय टीम ने 14 अंक की बड़ी बढ़त बना ली जिसके बाद उसे जीत दर्ज करने में कोई परेशानी हुई है। हांगकांग के खिलाफ भारतीय टीम ने धीमी शुरुआत की। भारतीय तिकड़ी ने शुरुआत में दो अंक की बढ़त बनाई लेकिन चेन हुंग टिंग, वोंग सुक स्युन और लुक यिन यी की पांचवीं वरीय जोड़ी ने 57-57 पर स्कोर बराबर कर लिया।
भारतीय तिकड़ी ने हालांकि तीसरे चरण में सिर्फ एक अंक गंवाया और आठ अंक की मजबूत बढ़त बना ली। हांगकांग ने अंतिम चरण में एक निशाना आठ अंक पर लगाया जिसके बाद भारत की राह और आसान हो गई। सत्रह साल की अदिति ने अंतिम शॉट से पहले ही 10 अंक के साथ भारत की जीत सुनिश्चित की। ज्योति ने अंतिम प्रयास में नौ अंक जुटाए लेकिन इससे पहले ही भारत की जीत तय हो चुकी थी।