प्रशांत किशोर की पदयात्रा का सारण में आज दूसरा दिन है।
सारण : जन सुराज पदयात्रा के 163वें दिन की शुरुआत सारण के पुचाती कला पंचायत स्थित मनरानी अनिरुद्ध नारायण हाई स्कूल में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ पुचाती कला पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा कटेया, परसा पूर्वी, परसा दक्षिणी होते हुए एकमा प्रखंड अंतर्गत हुस्सेपुर पंचायत के पुराना ब्लॉक मैदान में जन सुराज पदयात्रा शिविर में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। प्रशांत किशोर की पदयात्रा का सारण में आज दूसरा दिन है।
आज प्रशांत किशोर सारण के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच जाएंगे। उनकी समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर 5 आमसभाओं को संबोधित किया और 5 पंचायत के 9 गांवों से गुजरते हुए 16.2 किमी की पदयात्रा तय की। जन सुराज पदयात्रा के दौरान लहलादपुर प्रखंड में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जाति चुनाव में एक तथ्य है और चुनाव में केवल वोट जाति पर नहीं पड़ते हैं।
बिहार में 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं और वो लोग जाति के नाम पर वोट नहीं देते हैं। वो आरजेडी को इसलिए वोट करते है क्योंकि भाजपा के सामने उनको केवल एक ही विकल्प दिखाई देता है। समाज का एक बड़ा वर्ग है, जो जाति पर वोट नहीं करता है, वो भाजपा को इसलिए वोट करता है क्योंकि वो आरजेडी को वोट नहीं करना चाहते हैं।
जाति चुनाव में एक पहलू है, एक मात्र पहलू नहीं है। जाति यदि एक मात्र पहलू होती तो भाजपा और नरेंद्र मोदी को बिहार में जो वोट मिल रहा है वो वोट नहीं मिल रहा होता, क्योकि नरेंद्र मोदी की जाति के लोग यहां नहीं हैं। लेकिन मोदी को वोट दूसरे कारणों से मिल रहा है, उनको राष्ट्रवाद के नाम पर, हिंदुत्व के नाम पर, भारत-पाकिस्तान के नाम पर वोट मिल रहा है। ये कहना कि वोट जाति के नाम पर मिल रही है तो ये एकदम गलत है। जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण में मीडिया संवाद के दौरान पलायन की विकरालता को बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी तक 1500 से ज्यादा गांव में घूमने के बाद ये सामने आया है कि गांव मे 40 से 50 प्रतिशत युवा किसी रोजगार या मजदूरी के लिए घर छोड़कर बाहर गए हैं। बिहार के युवा साल में 10 से 15 दिन के लिए एक बार अपने घर आत हैं और घर की महिलाओं ने ये मान लिया है कि उनके परिवार के पुरुष उनके साथ 15 दिन से ज्यादा नहीं रहेंगे।
बिहार में परिवार के साथ रहने का चलन धीरे - धीरे समाप्त हो गया है। बच्चे पहले पढ़ाई के लिए बाहर जाते हैं, फिर कमाई यानि रोजगार के लिए बाहर जाते हैं और थोड़ी उम्र होने के बाद फिर इलाज और दवाई के लिए बाहर जाते हैं। परिवार का एक साथ न रहना एक बहुत बड़ी सामाजिक त्रासदी है, जो आज बड़े स्तर पर देखने को मिल रही है।
प्रशांत किशोर ने सारण में मीडिया संवाद के दौरान राज्य सरकार की सात निश्चय की बड़ी योजनाओं पर हमला करते हुए कहा कि बिजली को लेकर जो नई समस्या लोगों को आ रही है, वो बिजली के बिल में गड़बड़ी है। इसमे गलत और बढ़े हुए बिल आ रहे हैं। जिन लोगों से मेरी मुलाकात हुई है उन्होंने 2 हजार से लेकर 1 लाख 25 हजार तक के बिल दिखाए हैं। ज़्यादतर लोगों का कहना है कि उनका बिल गलत है और एक बार गलत बिल आ जाता है तो उनकी बिजली काट ली जाती है। उन्होंने सड़क की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि यदि राष्ट्रीय और राज्य हाइवे की बात छोड़ दें, तो ग्रामीण सड़कों की स्थिति जो ग्रामीण कार्य विभाग या पंचायती राज के अंतर्गत आती है, उन सड़कों की स्थिति आज भी वही है जो लालू जी के जंगलराज के समय में थी।