पंजाब सरकार ने राज्यपाल पर विधानसभा का बजट सत्र बुलाने के, मंत्रिमंडल के फैसले को ‘‘पलटने’’ का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को उसके ‘‘ऐतिहासिक’’ फैसले और ‘‘लोकतंत्र के अस्तित्व को बचाने’’ के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि राज्य विधानसभा का आगामी सत्र अब बिना किसी व्यवधान के चलेगा। मान की इस टिप्पणी से एक दिन पहले, पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि उन्होंने तीन मार्च को बजट सत्र के लिए विधानसभा की बैठक बुलाई है।
पंजाब सरकार ने राज्यपाल पर विधानसभा का बजट सत्र बुलाने के, मंत्रिमंडल के फैसले को ‘‘पलटने’’ का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
मान ने पंजाबी में ट्वीट किया, ‘‘पंजाब में लोकतंत्र का अस्तित्व बचाने और इस ऐतिहासिक फैसले के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद...। अब तीन करोड़ पंजाबियों की आवाज ‘‘विधानसभा के सत्र’’ के दौरान बिना किसी बाधा के उठाई जाएगी।’’
शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों से यह भी कहा कि मर्यादा और परिपक्व शासन कौशल के साथ संवैधानिक विमर्श किया जाना चाहिए।
उन्होंने जोर दिया कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री संवैधानिक पदाधिकारी हैं और संविधान में उनकी विशिष्ट भूमिकाएं तथा दायित्व निर्धारित हैं। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कहा कि दोनों पक्षों ने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया।
न्यायालय ने कहा, ‘‘राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं देना मुख्यमंत्री की ओर से संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना करना है, जिसके कारण राज्यपाल ने बजट सत्र बुलाने के अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन नहीं किया।’’
न्यायालय ने कहा कि पंजाब के राज्यपाल मंत्रियों से परामर्श करने के लिए आबद्ध हैं, इसलिए राज्यपाल द्वारा बजट सत्र बुलाने या नहीं बुलाने को लेकर कानूनी सलाह लेने का कोई मतलब नहीं है।. शीर्ष अदालत तीन मार्च को बजट सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल के कथित ‘‘इनकार’’ के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।