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अदालत ने कहा कि अस्पताल के खिलाफ जांच जारी रहेगी।
अमेठी : इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने अमेठी के संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी। उत्तर प्रदेश सरकार ने संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस 22 वर्ष की एक महिला की एक सर्जरी के बाद मौत होने को लेकर निलंबित कर दिया था। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने हालांकि मामले में चल रही जांच को जारी रखने को कहा। अदालत ने राज्य सरकार से मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर) अवधेश शर्मा की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अदालत ने कहा कि अस्पताल के खिलाफ जांच जारी रहेगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई रोक
इस याचिका में अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के एक सरकारी आदेश केा चुनौती दी गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जे एन माथुर ने दलील दी कि सरकार ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने का आदेश ‘‘राजनीतिक कारणों से’’ जारी किया है। उन्होंने अनुरोध किया था कि निलंबन आदेश रद्द किया जाये। राज्य सरकार की ओर से अदालत में कहा गया था कि अस्पताल में सर्जरी हो रही थी जबकि उसके पास सर्जरी करने का लाइसेंस ही नहीं था। राज्य सरकार ने कहा कि लाइसेंस निलंबन का आदेश बिल्कुल सही है और अस्पताल के खिलाफ जांच चल रही है। ऑपरेशन के बाद एक महिला मरीज की मौत के कुछ दिनों बाद 18 सितंबर को स्वास्थ्य विभाग ने अमेठी के मुंशीगंज इलाके में स्थित संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था और ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं बंद कर दी थीं।
राज्य सरकार की ओर से दी गईं ये दलीलें
राज्य के वकील राहुल शुक्ला ने कहा, ‘‘लाइसेंस सही तरीके से निलंबित किया गया है और अंतिम आदेश पारित करने से पहले जांच चल रही है।’’ यह अस्पताल कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है। ट्रस्ट के प्रशासक मनोज मुट्टू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अदालत के आदेश की एक प्रति अमेठी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपी जाएगी और सीएमओ के निर्देशों के अनुसार अस्पताल का कामकाज फिर से शुरू होगा। हालांकि, मुट्टू ने कहा कि वह चाहेंगे कि अस्पताल गुरुवार से काम करना शुरू कर दे। इससे पहले दिन में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अमेठी जिला इकाई ने मांग की कि संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट का प्रबंधन मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी को सौंप दिया जाए जो क्रमशः सुल्तानपुर और पीलीभीत से भाजपा सांसद हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन में भाजपा ने अस्पताल में मुफ्त इलाज मुहैया कराने की भी मांग की गई है।
वरुण गांधी और मेनका गांधी को सौंपने की मांग
ज्ञापन में कहा गया, ‘‘संजय गांधी अस्पताल का निर्माण राज्य सरकार द्वारा लीज पर दी गई जमीन पर किया गया है। लीज की शर्तों का पालन नहीं किया गया और अस्पताल अव्यवस्थित तरीके से चलाया जाता रहा। इसलिए, सरकार को संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट का प्रबंधन संजय गांधी की पत्नी एवं भाजपा नेता मेनका गांधी और उनके बेटे एवं पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी को सौंप देना चाहिए।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘नहीं तो, सरकार को अस्पताल का अधिग्रहण कर लेना चाहिए और इसका प्रबंधन लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) को सौंप देना चाहिए।’’
यह ज्ञापन भाजपा की जिला इकाई के प्रमुख राम प्रसाद मिश्रा द्वारा अमेठी के जिला मजिस्ट्रेट को सौंपा गया। गत 27 सितंबर को, अस्पताल के 400 से अधिक कर्मचारी इसके लाइसेंस के निलंबन के खिलाफ धरने पर बैठ गए। स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा सीएमओ कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद छिड़ गया। केंद्रीय मंत्री एवं अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी ने अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि मृत महिला के परिवार का समर्थन करने के बजाय, पार्टी "अपने मुनाफे के नुकसान पर रो रही है।’’
जानें- अस्पताल पर क्या आरोप लगा था
गत 14 सितंबर को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराई गई महिला मरीज दिव्या एक सर्जरी के दौरान कोमा में चली गई थी। उसके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उसे लखनऊ रेफर किए जाने से पहले 30 घंटे से अधिक समय तक अस्पताल में रखा गया था, जहां 16 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। अगले दिन, अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित चार कर्मचारियों के खिलाफ लापरवाही से मौत की प्राथमिकी दर्ज की गई।