अब लगभग तीन महीने होने को हैं और बड़ी संख्या में महिलाएं ‘पैड बैंक’ आ रही हैं।"
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने अपने स्कूल में गांव की महिलाओं के लिए ‘पैड बैंक’ खोलकर उन्हें मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के बारे में जागरूक करने की अनोखी पहल की है। बरेली जिले के भडपुरा ब्लॉक के बोरिया गांव में स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका राखी गंगवार की पहल अब रंग ला रही है। गांव की ज्यादा से ज्यादा महिलाएं उनके ‘पैड बैंक’ की सेवाएं ले रही हैं।
राखी ने रविवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया, "मैंने गांव के सर्वेक्षण के बाद 15 मई को मातृ दिवस पर ‘पैड बैंक’ की शुरुआत की थी। सर्वे के दौरान मैंने पाया कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान आवश्यक साफ-सफाई के बारे में जानकारी नहीं थी। वे गंदे कपड़े का इस्तेमाल कर रही थीं और उनमें से कोई भी सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना नहीं जानती थी। कई महिलाओं को तो यह भी पता नहीं था कि ऐसी भी कोई चीज मौजूद है।"
राखी ने अपने अभियान को ‘हमारी किशोरी हमारी शक्ति’ नारा दिया और गांव की महिलाओं को स्कूल आने के लिए मनाना शुरू किया। स्कूल में वह उन्हें स्वास्थ्य और स्वच्छता का महत्व समझाती हैं।
वह कहती हैं, "मेरा स्कूल पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए है। मैंने व्यक्तिगत रूप से जाकर उनकी माताओं और गांव की महिलाओं को बुलाया। मैंने अपने पैसे का इस्तेमाल सैनिटरी पैड खरीदने और महिलाओं को देने के लिए किया। अब लगभग तीन महीने होने को हैं और बड़ी संख्या में महिलाएं ‘पैड बैंक’ आ रही हैं।"
राखी ने स्कूल प्रशासन से मिले सहयोग के बारे में बताया, "स्कूल का स्टाफ और प्रधानाध्यापक इस काम में मेरा सहयोग कर रहे हैं। मेरी इस मुहिम में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं शामिल हो रही हैं। अगर मेरे पास आने वाली महिलाओं को कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, तो मैं चिकित्सकीय सलाह के लिए डॉक्टरों के साथ उनकी वीडियो कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था भी करती हूं।"
राखी ने बताया कि कुछ स्कूलों के पुरुष शिक्षक भी उनके इस अभियान के साथ जुड़ गए हैं।
उन्होंने कहा, "मैं अपने वीडियो इन पुरुष शिक्षकों को भेजती हूं, जिन्हें वे गांव की महिलाओं और लड़कियों को दिखाते हैं। इस अभियान को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। इस महीने एक सैनिटरी पैड कंपनी ने हमारे बैंक को मुफ्त पैड देने की पेशकश की है।"
गांव में महिलाओं तक पहुंचने और उन्हें समझाने के बारे में राखी ने कहा कि गांव में 78 परिवार हैं और वह व्यक्तिगत रूप से उनमें से हर किसी से संपर्क कर रही हैं।
उन्होंने कहा, "गांव की कुछ बुजुर्ग महिलाएं भी मेरे पास आती हैं और इस पहल की सराहना करके मुझे प्रोत्साहित करती हैं। वे अन्य महिलाओं को ‘पैड बैंक’ का इस्तेमाल करने और इसके बारे में प्रचार करने के लिए समझाने में भी मदद करती हैं।"
गांव में रहने वाली सुषमा देवी की बेटी राखी के स्कूल में पढ़ती है। सुषमा ने कहा कि यह बहुत अच्छी पहल है और इससे उन्हें स्वच्छता के महत्व को जानने में मदद मिली।
उसने कहा, "मुझे खुशी है कि हमें सैनिटरी पैड के इस्तेमाल के बारे में जानने का मौका मिला। हमें यहां यह पैड मुफ्त मिलता है। मैं स्वस्थ जीवन जीने के लिए बेटी को भी यह सब सिखाऊंगी।" उषा देवी और पिंकी देवी के भी यही विचार हैं। उनकी बेटियां भी राखी के स्कूल में पढ़ती हैं।
उषा ने कहा, "हम भाग्यशाली हैं कि ऐसा 'पैड बैंक' यहां शुरू किया गया है। हम यहां नियमित रूप से आते हैं और स्कूल में आयोजित कार्यशाला में भी हिस्सा लेते हैं। मैंने गांव की अन्य महिलाओं को भी इसके बारे में बताया है। हमें खुशी है कि हमारे गांव में ऐसी पहल हुई है।" राखी ने कहा कि अब हर महीने 100 से 150 महिलाएं 'पैड बैंक' में आ रही हैं और मौखिक प्रचार के साथ यह संख्या बढ़ती जा रही है।