रखपुर इस बार लोकसभा चुनाव में भोजपुरी फिल्मों के दो दिग्गज कलाकारों के आमने-सामने होने से चर्चा में है।
Lok Sabha Election 2024: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रसिद्ध 'गोरक्षपीठ' के चलते ज्यादातर चर्चा में रहने वाला गोरखपुर इस बार लोकसभा चुनाव में भोजपुरी फिल्मों के दो दिग्गज कलाकारों के आमने-सामने होने से चर्चा में है। टीवी धारावाहिक ‘लापतागंज’ से घर-घर चर्चित हुईं ‘इंडिया’ गठबंधन की उम्मीदवार काजल निषाद और हाल ही में आई फिल्म ‘लापता लेडीज’ में अपनी भूमिका के लिए वाहवाही बटोर रहे इस लोकसभा क्षेत्र से सांसद एवं भाजपा उम्मीदवार रवि किशन की मौजूदगी ने चुनाव प्रचार अभियान को रोमांचक बना दिया है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकसभा क्षेत्रों में शामिल गोरखपुर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जावेद सिमनानी सहित कुल 13 उम्मीदवार मुकाबले में हैं, पर मुख्य मुकाबला रवि किशन और काजल निषाद के बीच ही माना जा रहा है।
रवि किशन मोदी-योगी का नाम लेकर अपने फिल्मी लटकों-झटकों और ग्लैमर के सहारे मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी काजल निषाद मंचों से रवि किशन को फिल्मी स्टाइल में ही ललकारती नजर आती हैं।
मंचों से काजल खुद को अभिनेत्री, नेत्री और कवयित्री बताकर रवि किशन पर हमला बोलते हुए कहती हैं, ''वह बाहरी हैं, क्षेत्र में आते नहीं और मैं आपकी बहू हूं, आपके घर की हूं।'' वहीं, रवि किशन खुद को यहां का मूल निवासी बताते हुए लगातार पांच वर्ष से जनता की सेवा का दावा करते हैं। वह कभी ‘हर-हर महादेव’ बोलते हुए युवाओं से पंजा लड़ाते नजर आते हैं तो कभी अपने साथ सेल्फी लेने वाले युवाओं को उत्साहित करते दिखते हैं।
लोकसभा चुनाव के अंतिम एवं सातवें चरण में एक जून को होने वाले मतदान की उलटी गिनती शुरू होने के साथ ही गोरखपुर में जातीय समीकरण पर भी गोटियां बिछाई जाने लगी हैं और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष ने इसमें अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
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यहां 'सहारा स्टेट' में रहने वाले व्यवसायी संजय श्रीवास्तव 'गुड़डू' ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि ''हर बार विपक्षी दलों ने जातीय गोलबंदी की है लेकिन गोरखपुर के मतदाता विकास और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव एवं प्रयास से भाजपा को ही विजयश्री का सेहरा बांधते हैं और इस बार भी भाजपा ही जीतेगी।''
प्रसिद्ध ‘गोरक्षपीठ' (गोरखनाथ मंदिर) के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 से 2014 तक लगातार पांच बार इस क्षेत्र से चुनाव जीते और 2017 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) ने प्रवीण निषाद को उतारकर यहां कब्जा जमा लिया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रवि किशन को चुनाव में प्रत्याशी बनाकर अपनी प्रतिष्ठा वाली सीट को पुन: जीत लिया।
यहां दो उप-चुनावों 1970 और 2018 समेत कुल 19 बार हुए लोकसभा चुनाव में गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों ने 10 बार चुनाव जीता जिसमें पांच बार योगी आदित्यनाथ, चार बार उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ और एक बार उनके पितामह गुरु महंत दिग्विजय नाथ ने चुनाव जीता। इस वजह से यह संसदीय क्षेत्र हमेशा मंदिर और महंतों की प्रतिष्ठा से जुड़ा रहा है। फिलहाल, योगी आदित्यनाथ इसी संसदीय क्षेत्र के गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
रवि किशन खुद भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही अपनी पिछली जीत का श्रेय देते हैं तथा इस बार भी उनकी ही बदौलत चुनाव जीतने का दावा करते हैं।
गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में कुल 20,97,202 मतदाता हैं जिनमें 11,23,868 पुरुष, 9,73,160 महिला और तृतीय लिंग के 174 मतदाता हैं। इस क्षेत्र में सबके अपने-अपने तर्क और अलग-अलग दावे हैं। सपा के प्रदेश सचिव एवं गोरखपुर नगर निगम के पूर्व उपमहापौर जियाउल इस्लाम ने 'पीटीआई-भाषा' के साथ बातचीत में दावा किया कि ''सपा उम्मीदवार काजल निषाद कम से कम डेढ़ लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीतेंगी।''
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने दावा किया कि सपा के परंपरागत मुस्लिम मतदाताओं के वोट में बसपा उम्मीदवार जावेद सिमनानी का भी हिस्सा होगा जिसका लाभ भाजपा को ही मिलेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा के जावेद सिमनानी मुस्लिम मतों में सेंधमारी कर रहे हैं, सपा के रणनीतिकार जियाउल इस्लाम ने कहा, ''जावेद सिमनानी ने 2006 में हमारे खिलाफ मुफ्तीपुर वार्ड से पार्षद बनने के लिए नगर निगम का चुनाव लड़ा था और सिर्फ 312 वोट पाकर बुरी तरह हारे थे, आप उनका हश्र समझ सकते हैं।''
वहीं, शहर के सिंघडिया क्षेत्र निवासी कारोबारी सूरज कुमार ने कहा, ''परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं होती हैं और निश्चित रूप से बदले दौर में जावेद सिमनानी भी अपना प्रभाव दिखाएंगे।''
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गोरखपुर में पिछले कई आम चुनावों से विपक्षी दलों ने निषाद समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों को ही उम्मीदवार के रूप में आगे किया है और 2018 के उपचुनाव में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद सपा के चिह्न पर यहां से चुनाव जीत गए थे लेकिन बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए।
इस बार काजल निषाद ने चुनौती खड़ी की है। गोरखपुर में करीब चार लाख निषाद मतदाता हैं और निषादों का वोट हासिल करने के लिए भाजपा ने भी अपने सहयोगी दल ‘निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल’ (निषाद) के अध्यक्ष एवं उप्र सरकार के मंत्री संजय निषाद को आगे करके अपने पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की है।
क्षेत्र के निवासी 35 वर्षीय मत्स्य पालक रघुवर निषाद ने कहा, ''अगर काजल निषाद चुनाव नहीं जीतीं तो हमारा समाज कमजोर हो जाएगा, इसलिए हमारा समाज उनके पक्ष में लामबंद हो गया है।''
चुनाव में विपक्षी दल गोरखपुर के विकास का मुद्दा उठाते हैं लेकिन ज्यादातर स्थानीय लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के सात वर्ष के कार्यकाल में यहां की तस्वीर बदल गई है और विकास स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
यहां पार्क रोड स्थित एक नर्सिंग होम में काम करने वाले अवधेश सिंह ने कहा, ‘‘पिछले सात वर्षों में गोरखपुर का जितना विकास हुआ है, उसके आगे अब विपक्ष की बोलती बंद हो गई है।''
गोरखपुर में सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा और चार जून को मतगणना होगी।
(For more news apart from Clash between Ravi Kishan and Kajal Nishad in Gorakhpur, CM Yogi Adityanath's reputation at stake, stay tuned to Rozana Spokesman)