वित्त वर्ष 2015 से 2019 के बीच 23 राज्यों में स्टांप शुल्क की वार्षिक चक्रवृद्धि दर 10.4 फीसदी रही है।
Business News: अर्थव्यवस्था में तेजी और कोरोना के बाद बढ़ती मांग से मकानों की बिक्री में भारी उछाल आया है। इससे पिछले 10 वर्षों में 23 राज्यों ने संपत्तियों के पंजीकरण के एवज में 13.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की स्टांप ड्यूटी वसूली है। बैंक ऑफ बड़ौदा की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2015 से 2019 के बीच 23 राज्यों में स्टांप शुल्क की वार्षिक चक्रवृद्धि दर 10.4 फीसदी रही है।
महामारी के बाद वित्त वर्ष 2019 से 2024 के बीच यह दर 12.5 फीसदी रही है। इससे संकेत मिलता है कि कोरोना के बाद मकानों की बिक्री में अच्छा उछाल आया है। 23 राज्यों में से 16 राज्यों में स्टांप ड्यूटी बढ़ी है। 10 वर्षों में स्टांप शुल्क दर में काफी बदलाव आया है। कोरोना के समय कुछ राज्यों ने शुल्क को शून्य कर दिया था। हालांकि, अब यह कोरोना के पहले के स्तर पर वापस आ गया है। लोगों की आय स्तर में वृद्धि और खुद का घर होने की चाहत से मकानों की बिक्री में तेजी आई है। इससे स्टांप शुल्क की वसूली भी बढ़ी है। 5 वर्षों में तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, ओडीशा और मेघालय में स्टांप शुल्क में कमी आई है।
उत्तर प्रदेश में शुल्क 12.5 फीसदी से घटकर सात फीसदी
पिछले 10 वर्षों में कई राज्यों ने स्टांप शुल्क बढ़ाया है तो कई ने घटाया है। उत्तर प्रदेश ने सबसे ज्यादा 5.5 फीसदी बढ़ाया है। इस राज्य में पहले स्टांप शुल्क 12.5 फीसदी था जो अब सात फीसदी है। मध्य प्रदेश ने 8 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी किया है। हरियाणा ने बढ़ाकर 5 से 7 फीसदी कर दिया है जो पहले 3 से 7 फीसदी था। छत्तीसगढ़ ने से घटाकर पांच फीसदी किया है।
स्टांप शुल्क पाने में महाराष्ट्र सबसे आगे
राज्य शुल्क
महाराष्ट्र 23.40 फीसदी
उत्तर प्रदेश 13.00 फीसदी
तमिलनाडु 9.20 फीसदी
कर्नाटक 8.40 फीसदी
गुजरात 6.70 फीसदी
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