इससे पता चलता है कि देश कोयला क्षेत्र पर काफी हद तक निर्भर है।
New Delhi: भारत की बिजली की मांग अगले एक दशक में 70 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक में देश गैर-पनबिजली नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करेगा। फिच समूह के प्रभाग बीएमआई की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2032 तक देश के कुल बिजली उत्पादन में कोयले की बहुलांश हिस्सेदारी बनी रहेगी। इससे पता चलता है कि देश कोयला क्षेत्र पर काफी हद तक निर्भर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक में देश का बिजली उत्पादन 70 प्रतिशत बढ़ेगा। यह दुनिया के बड़े बिजली उत्पादकों में सबसे अधिक वृद्धि होगी। इस दौरान भारत गैर-पनबिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करेगा। वर्ष 2032 तक कुल बिजली उत्पादन में इन स्रोतों की हिस्सेदारी 16.9 प्रतिशत हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, बिजली मांग में बढ़ोतरी से बिजली उत्पादन वृद्धि को समर्थन मिलेगा। इससे बिजली खपत की मांग पूरी हो सकेगी।
बीएमआई ने कहा कि आबादी में वृद्धि, शहरीकरण के विस्तार, निर्माण, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की मांग से अगले दशक में 2032 तक बिजली की मांग औसतन सालाना 4.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की बिजली की मांग 1,51,18,470 लाख यूनिट रही थी।