वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण मोहन इस मामले में न्याय मित्र के रूप में पेश हुए। न्यायमूर्ति सिंह पिछले महीने ही सेवानिवृत्त हुए थे।
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से एक सॉफ्टवेयर और अन्य सुविधाएं विकसित करने को कहा है, जिसकी मदद से लोग भगोड़े अपराधियों के नाम और विवरण एवं उनके ठिकानों के बारे में जानकारियां अपलोड कर सकें तथा पुलिस को जानकारी दे सकें, ताकि उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई करने में मदद मिल सके।
उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) की अध्यक्षता में अदालत द्वारा नियुक्त समिति इसके निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी। अदालत ने कहा कि डेटा को शुरुआत में आंतरिक सर्वर पर अपलोड किया जाएगा और बाद में सत्यापन के बाद एनआईसी द्वारा विकसित किए जाने वाले सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा।
न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने हाल में जारी एक आदेश में कहा, ‘‘एनआईसी भगोड़े अपराधियों एवं व्यक्तियों के नाम तथा अन्य विवरण अपलोड करने के लिए परियोजना लागू करने के वास्ते डेटा को लेकर उपरोक्त निगरानी समिति के मार्गदर्शन में आवश्यक सॉफ्टवेयर विकसित करेगी और बुनियादी ढांचा, वेब स्पेस और अन्य सुविधाएं प्रदान करेगी।’’
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘प्रारंभ में भगोड़े अपराधियों/व्यक्तियों से संबंधित डेटा को आंतरिक सर्वर पर अपलोड किया जाए और इसकी पहुंच केवल अधिकृत व्यक्तियों तक ही हो, जब तक कि डेटा की जांच, पुन: जांच और हितधारकों द्वारा सत्यापन नहीं किया जाता है और उसके बाद ही इसे दिल्ली की जिला अदालतों के लिए एनआईसी द्वारा विकसित प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा सकता है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण मोहन इस मामले में न्याय मित्र के रूप में पेश हुए। न्यायमूर्ति सिंह पिछले महीने ही सेवानिवृत्त हुए थे।
अदालत ने आदेश दिया कि आपराधिक मामलों में भगोड़े अपराधियों/व्यक्तियों का डेटा अपलोड करने के लिए दिल्ली पुलिस और जिला अदालतें जिम्मेदार होंगी और ‘इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ के निदेशक/प्रभारी परियोजना के लिए हरसंभव तकनीकी और नीतिगत सहायता सुनिश्चित करेंगे।