‘ इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये 120 देशों को आमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘यूनिटी आफ वॉयस, यूनिटी आफ पर्पज’ है।’’
New Delhi : भारत 12-13 जनवरी को डिजिटल माध्यम से ‘वॉयस आफ गलोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा जिसमें दक्षिण सहित विकासशील देशों को अपने मुद्दों, चिंताओं और प्राथमिकताओं को रखने का मौका मिलेगा। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
क्वात्रा ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये 120 देशों को आमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘यूनिटी आफ वॉयस, यूनिटी आफ पर्पज’ है।’’ उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन की संकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘ सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’’ तथा भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र से प्रेरित है।
उन्होंने कहा कि भारत विकासशील विश्व की आवाज एवं चिंताओं को वैश्विक मंच पर रखने में सबसे आगे रहा है। पिछले समय में कोविड-19 महामारी और यूक्रेन संघर्ष का दुनिया के देशों पर प्रभाव पड़ा है। इससे खाद्य, ईंधन और उर्वरकों तक पहुंच प्रभावित हुई है।
क्वात्रा ने कहा कि कर्ज और मुद्रास्फीति का दबाव भी अर्थव्यवस्थाओं के ढांचागत मानदंडों पर दिखायी दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण सहित विकासशील देशों को अपने मुद्दों, चिंताओं और प्राथमिकताओं को रखने का मौका मिलेगा।
यह पूछे जाने पर कि इस सम्मेलन में भारत के किन किन पड़ोसी देशों को आमंत्रित किया गया है, क्वात्रा ने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। उन्होंने बताया कि इस डिजिटल शिखर बैठक में 10 सत्र होंगे जिसमें दो सत्र शासनाध्यक्ष स्तरीय होंगे जबकि आठ सत्र मंत्री स्तरीय होंगे। शासनाध्यक्षों के स्तर के सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल रहेंगे।