मामले का एक अन्य आरोपी नाबालिग है।
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुकर्म पीड़ित नाबालिग की मां और आरोपी के बीच दो लाख रुपये में समझौता किए जाने के प्रयास पर नाखुशी जताते हुए कहा कि बच्चे के शारीरिक और मानसिक आघात को पैसे से ‘‘तौला’’ गया है। अदालत ने कहा कि इस तरह के जघन्य अपराधों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए और न ही ऐसे मामलों में कोई नरमी बरती जा सकती है। अदालत ने कहा कि बच्चे की मां से उम्मीद थी कि वह नाबालिग की पीड़ा और उसके आघात को समझेगी।
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने मामले में आरोपी साबुद्दीन को जमानत देने से इंकार करते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में बच्चा बेजुबान महसूस करता है, लेकिन अदालत से बेजुबान को समझने और उसे सुनने की उम्मीद की जाती है।
मामले का एक अन्य आरोपी नाबालिग है। उच्च न्यायालय साबुद्दीन की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो 17 अक्टूबर, 2021 से जेल में है।
आरोपी ने इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया कि पीड़ित की मां पहले ही उनके साथ मामले में समझौता करने के लिए सहमत हो गई है और एक समझौता पत्र को रिकॉर्ड में रखा गया है, जिसमें कहा गया है कि आरोपी को राहत दी जाती है तो उन्हें (पीड़ित की मां) कोई आपत्ति नहीं है। अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया।