दया याचिकाओं पर फैसले में देरी का फायदा उठा रहे हैं मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी: न्यायालय

खबरे |

खबरे |

दया याचिकाओं पर फैसले में देरी का फायदा उठा रहे हैं मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी: न्यायालय
Published : Apr 14, 2023, 5:33 pm IST
Updated : Apr 14, 2023, 5:33 pm IST
SHARE ARTICLE
Death row convicts taking advantage of delay in deciding mercy petitions: SC
Death row convicts taking advantage of delay in deciding mercy petitions: SC

दया याचिकाओं को राज्यपाल ने 2013 में और राष्ट्रपति ने 2014 में खारिज कर दिया।

New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी अपनी दया याचिकाओं पर निर्णय में अत्यधिक देरी का फायदा उठा रहे हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकारों और संबंधित अधिकारियों को ऐसी याचिकाओं पर जल्द फैसला करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा अंतिम निष्कर्ष दिए जाने के बाद भी, दया याचिका पर फैसला करने में अत्यधिक देरी होने से मौत की सजा का उद्देश्य नाकाम हो जाएगा।

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, राज्य सरकार और/या संबंधित अधिकारियों को सभी प्रयास करने चाहिए कि दया याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला किया जाए और उनका निपटारा किया जाए, ताकि आरोपी को भी अपने भविष्य का पता चल सके और पीड़िता को न्याय मिल सके।". पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर यह टिप्पणी की, जिसमें एक महिला और उसकी बहन को सुनाई गई मौत की सजा को कम कर दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में इस आधार पर बदल दिया कि दोषियों द्वारा दायर की गई दया याचिकाओं पर राज्य/राज्य के राज्यपाल की ओर से फैसला करने में असामान्य और अस्पष्ट देरी हुई थी और याचिका को करीब सात साल एवं दस महीने तक लंबित रखा गया था।

एक निचली अदालत ने 2001 में कोल्हापुर में 13 बच्चों के अपहरण और नौ बच्चों की हत्या के लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई थी और उच्च न्यायालय ने 2004 में उसकी पुष्टि की थी। शीर्ष अदालत ने 2006 में उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा था। बाद में, उनकी दया याचिकाओं को राज्यपाल ने 2013 में और राष्ट्रपति ने 2014 में खारिज कर दिया।

उच्च न्यायालय के आदेश में कोई भी हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के दौरान अपराध की गंभीरता पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, दया याचिकाओं पर फैसले में अत्यधिक देरी को भी मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के लिए संबंधित विचार कहा जा सकता है।

पीठ ने कहा, "इसके मद्देनजर, मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।’’

भारत सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि अभियुक्तों के अपराध की गंभीरता को देखते हुए, उच्च न्यायालय को मौत की सजा को बिना किसी छूट के जीवन भर के लिए आजीवन कारावास में बदलने का आदेश सुनाया था।  उसकी दलीलों पर गौर करते हुए न्यायालय ने सजा में संशोधन करते हुए निर्देश दिया कि दोषियों को बिना किसी छूट के ताउम्र आजीवन कारावास की सजा काटनी होगी।

Location: India, Delhi, New Delhi

SHARE ARTICLE

ROZANASPOKESMAN

Advertisement

 

ਭਾਰਤ ਦੇ 60 ਕਰੋੜ Kisana ਲਈ ਨਵਾਂ ਫੁਰਮਾਨ, ਨੀਤੀ ਅਯੋਗ ਕਿਉਂ ਕੱਢਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ Kisana ਨੂੰ ਖੇਤੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ?

20 Dec 2024 5:46 PM

ਜੇ ਮੋਰਚਾ ਹਾਰ ਗਏ ਤਾਂ ਮੁੜ ਕੇ ਕਿਸੇ ਨੇ ਮੋਰਚਾ ਲਗਾਉਣ ਨਹੀ- Khanauri border ਤੋ ਗਰਜਿਆ Lakha Sidhana | Appeal

19 Dec 2024 5:31 PM

जगजीत सिंह दल्लेवाल की हालत बेहद गंभीर, मंच बंद

19 Dec 2024 5:30 PM

जगजीत सिंह डल्लेवाल के पक्ष में खनौरी बॉर्डर पहुंचे मूसेवाला के पिता

19 Dec 2024 5:28 PM

ਧਾਮੀ 'ਤੇ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ਸਖ਼ਤ ਐਕਸ਼ਨ, ਬੀਬੀ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਦੀ ਮੰਗ ਤੋਂ ਬਾਅਦ Raj Lali Gill ਦਾ Exclusive Interview

18 Dec 2024 5:42 PM

18 ਸਾਲ ਪੁਰਾਣੇ ਘਰੇਲੂ ਝਗੜੇ ਬਾਰੇ Jathedar ਦੇ ਵੱਡੇ ਖ਼ੁਲਾਸੇ - Bathinda Jathedar Harpreet Singh|Viral Video

18 Dec 2024 5:39 PM