चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।
New Delhi: भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल कर लैंड करेगा। इसके साथ ही भारत आज एक इतिहास भी रचेगा. क्योंकि चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफल होते ही भारत दुनिया का पहला देश होगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुवी क्षेत्र पर पहुंचेगा.
चंद्रयान-3 को लेकर जहां पुरे देश में उत्साह नजर आ रहा है, वहीं पुरी दुनिया की नजर भी इस पर टिकी हुई है. क्योंकि कुछ दिन पहले इस कोशिश में रूस का लूना-25 नाकाम हो चुका है. ऐसे में भारत के चंद्रयान-3 मिशन की अहमियत बढ़ गई है. पूरी दुनिया की निगाहें इस मिशन पर है. चंद्रयान-3 की सफलता के लिए देश में पूजा और प्रार्थनाओं का दौर भी चल रहा है.
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। लैंडिंग होते ही यह 41 दिन में 3.84 लाख किमी का सफर तय कर नया इतिहास लिखेगा। लैंडर के चांद पर उतरते ही रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर इससे चांद की सतह पर आएगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खीचेंगे और पृथ्वी पर सेंड करेंगे। अगर भारत इस मिशन में सफल रहा तो चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश होगा।
23 को लैंडिंग नहीं हुई तो 27 को करवाई जाएगी लैंडिंग
अभी तक रिपोर्ट्स यही कह रही हैं कि इसकी लैंडिंग 23 को होगी लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर 27 को इसकी लैंडिंग करवाई जाएगी. अब इस समय सीमा बढ़ने का भी कारण है. दरअसल लैंडिंग के दो घंटे पहले लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों को मापेंगे. इसके आधार पर देखा जाएगा कि लैंडिंग करना सही है या नहीं. ऐसे में अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी
आखिर के 15 मिनट पर क्यों टिकी हैं ISRO की नजरें?
तमाम देशवासियों के इस मून मिशन के सफल होने की आशा है. लेकिन लैंडिंग के 15 मिनट काफी अहम होने वाले हैं. इसका भी कारण है. क्योंकि चंद्रमा से हमारी पृथ्वी की दूरी 3,83,400 है और लैंडिंग के आखिरी पलों में लैंडिंग रोवर ग्रह की सतह पर लैंड करता है. लैंडर इस 15 मिनट में खुद ही काम करता है यानि कि इसे कमांड नहीं दी जा सकती ना ही किसी द्वारा इसे लैंड करवाया जाता है . ऐसे में लैंडर को सही समय, ऊंचाई और सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल करते हुए लैंडिंग करनी होगी.