यह एक अप्रैल, 2023 से प्रभाव में आएगी।
New Delhi: सरकार ने शुक्रवार को विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 पेश की जिसका उद्देश्य प्रोत्साहन के बजाए छूट और पात्रता आधारित व्यवस्था को अपनाने के जरिए देश के निर्यात को 2030 तक 2000 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष सारंगी ने एफटीपी 2023 के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि परंपरागत रूप से पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति की घोषणा की जाती रही है लेकिन इस हालिया नीति की कोई समाप्ति तिथि नहीं है और इसे जरूरत के मुताबिक अद्यतन किया जाता रहेगा।
इससे पहले, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एफटीपी 2023 से पर्दा हटाया। यह एक अप्रैल, 2023 से प्रभाव में आएगी। डीजीएफटी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक भारत का कुल निर्यात 760-770 अरब डॉलर तक रह सकता है जो 2021-22 में 676 अरब डॉलर था।
पिछली नीति पांच साल की अवधि के लिए एक अप्रैल, 2015 से प्रभाव में आई थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी फैलने की वजह से इसे कई बार विस्तार दिया गया। अंतिम बार इसे सितंबर 2022 में 31 मार्च, 2023 तक के लिए विस्तार दिया गया था। नई एफटीपी में निर्यात उत्कृष्ट शहरों (टीईई) में चार नए शहरों को शामिल किया गया है जिनमें फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी हैं। ये पहले से मौजूदा 39 टीईई के इतर हैं।
एफटीपी 2023 से ई-वाणिज्य निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा और इसके 2030 तक बढ़कर 200-300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके अलावा, इसमें कूरियर सेवाओं के माध्यम से निर्यात के लिए मूल्य सीमा 5 लाख रुपये प्रति खेप से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जा रही है। नई एफटीपी का लक्ष्य भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में घरेलू मुद्रा को बढ़ावा देने का है।