100 years of Dilip Kumar : एक अलहदा कलाकार जिसने अभिनय का अपना स्कूल गढ़ा

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100 years of Dilip Kumar : एक अलहदा कलाकार जिसने अभिनय का अपना स्कूल गढ़ा
Published : Dec 13, 2022, 6:28 pm IST
Updated : Dec 13, 2022, 6:28 pm IST
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100 years of Dilip Kumar: A different artist who created his own school of acting
100 years of Dilip Kumar: A different artist who created his own school of acting

अपने लंबे अभिनय करियर में, कुमार ने 65 फिल्मों में अभिनय किया।

New Delhi : सिनेमा की करिश्माई प्रतिभा, सहज रूप से स्वाभाविक कलाकार, कई भाषाओं के जानकार और पर्दे पर तन, मन और आवाज में तालमेल बैठाने वाले दिलीप कुमार को उनके सहकर्मी, फिल्म इतिहासकार और सिनेमा प्रेमी कुछ इसी तरह से याद कर रहे हैं। दिलीप कुमार की सौवीं जयंती रविवार को है।

कुमार न केवल सौम्य और मृदु, शिष्ट और मंत्रमुग्ध करने वाले थे, बल्कि उनके अभिनय कौशल का भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेता और कलाकार बड़े सम्मान से अनुकरण करते हैं। उन्होंने कभी भी किसी नाटक या फिल्म स्कूल में अभिनय की कला और शिल्प का अध्ययन नहीं किया, लेकिन पर्दे पर उनकी उपस्थिति में उनके अभिनय के अपने तरीके से एक निश्चित लय, संतुलन और गति थी।

फिल्म उद्योग और पीढ़ी दर पीढ़ी के सिनेमा प्रेमी रूपहले पर्दे के प्रतीक कुमार की जन्मशती मना रहे हैं। फिल्म इतिहासकार अमृत गंगर का मानना है कि यह दिलचस्प है कि यह उत्सव उस समय के साथ मेल खाता है जब ‘‘हम सिर्फ हिंदी सिनेमा के बारे में नहीं बल्कि बहुलवादी भारतीय सिनेमा के बारे में बात कर रहे हैं।’’

गंगर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘दिलीप कुमार साहब एक राष्ट्र के रूप में भारत के बहुभाषी चरित्र को दर्शाते हुए एक बहुभाषाविद थे। वह अपनी मातृभाषा हिंदको, उर्दू, हिंदी, पश्तो, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, बंगाली, गुजराती, फारसी के अलावा भोजपुरी और अवधी के जानकार थे और इन भाषाओं में धाराप्रवाह बोलते थे। ...उनकी जन्मशती आज के शोरगुल भरे माहौल में भारतीय सिनेमा को असाधारण संतुलन और अर्थव्यवस्था का प्रतीक बनाती है।’’

पाकिस्तान के पेशावर में किस्सा ख्वानी बाजार की भीड़भाड़ वाली गली में जन्मे, मुहम्मद यूसुफ खान लाला गुलाम सरवर खान और उनकी पत्नी आयशा बेगम के 12 बच्चों में से एक थे। करीब 20 की उम्र में उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से पेशेवर रूप से अभिनय की शुरुआत का फैसला किया। यह भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े ‘स्क्रीन आइकन’ में से एक की यात्रा की शुरुआत थी जिन्हें प्रसिद्ध अभिनेत्री-निर्मात्री देविका रानी ने दिलीप कुमार नाम सुझाया था।

फिल्म निर्माता सुभाष घई ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘दिलीप कुमार सिनेमा और समाज की दुनिया का एक चमत्कार हैं। उन्होंने एक बार मेरे साथ साझा किया था कि वह कभी भी एक खास किस्म में बंधे हुए अभिनेता नहीं थे ... उन्होंने कभी नाटक करने या अभिनय करने की कोशिश नहीं की बल्कि वह दृश्य के सामने आत्मसमर्पण कर देते हैं।’’

घई ने कहा कि कुमार के पास ‘‘हर चरित्र को गरिमा के साथ चित्रित करने’’ की शक्ति थी। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मैं गरिमा और शक्ति के चरित्र के बारे में लिखता हूं तो मैं हमेशा दिलीप कुमार या अमिताभ बच्चन, इन दो अभिनेताओं के बारे में सोचता हूं।’’

अपने लंबे अभिनय करियर में, कुमार ने 65 फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन यह फिल्मों की संख्या नहीं बल्कि एक कलाकार के रूप में उनकी ‘रेंज’ और उनकी जागरूकता है जिसने उन्हें सिनेमा की किंवदंती बना दिया।

फिल्मकार रमेश सिप्पी ने कहा, ‘‘वह उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने बहुत कम काम किया, हमेशा वह चुना जो वह करना चाहते थे और उस पर बहुत मेहनत की। कभी-कभी उनकी फिल्म आने में दो या तीन साल हो जाते थे, जबकि अधिकांश अभिनेता इन वर्षों में दो-तीन फिल्में कर लेते थे।’’ सिप्पी ने कहा, ‘‘छोटा काम करने के लिए बहुत साहस की जरूरत होती है। उन्होंने जो काम किया उस पर बहुत ध्यान केंद्रित किया, वह इसके लिए बहुत प्रयास करते थे।’’

अमिताभ बच्चन से लेकर नसीरुद्दीन शाह, शाहरुख खान से लेकर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी तक, हिंदी सिनेमा के हर अभिनेता के अभिनय कौशल में कुमार की प्रतिभा झलकती है।

‘क्रांति’ में उनके साथ काम कर चुके दिग्गज अभिनेता-नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि भारत में सभी कलाकारों ने कुमार से बहुत कुछ सीखा है। सिन्हा ने कहा, ‘‘दिलीप साहब का हम सभी पर बहुत बड़ा प्रभाव रहा है। हम सभी ने उनसे बहुत कुछ सीखा है, वह ईमानदारी के साथ दृश्यों को भावनात्मक जान डाल देते थे। वह ‘ट्रेजडी और कॉमेडी किंग’ थे, वह कुछ भी कर सकते थे।’’

घई के अनुसार, कुमार के पास अपनी अभिनय प्रतिभा के अलावा दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ था - जीवन के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण।

थिएटर चेन ‘पीवीआर सिनेमा’ और आईनॉक्स रविवार को सिने दिग्गज दिलीप कुमार की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन’ द्वारा दो दिवसीय फिल्म महोत्सव आयोजित करने के साथ व्यस्त सप्ताहांत होने की उम्मीद कर रहे हैं।

गैर-लाभकारी संगठन द्वारा आयोजित, ‘दिलीप कुमार हीरो ऑफ हीरोज’ नामक उत्सव शनिवार और रविवार को आयोजित किया जाएगा।

पीवीआर सिनेमा के साथ साझेदारी में आयोजित फिल्म समारोह के दौरान, कुमार की समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्में, जिनमें ‘आन’ (1952), ‘देवदास’ (1955), ‘राम और श्याम’ (1967) और ‘शक्ति’ (1982) शामिल हैं। इन्हें देश भर के 30 से अधिक सिनेमा हॉल और 20 शहरों में प्रदर्शित किया जाएगा। 25 से 30 स्थानों पर आईनॉक्स थिएटर में हिंदी क्लासिक्स भी दिखाई जाएंगी।

पीवीआर लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक संजीव कुमार बिजली ने कहा कि पीवीआर ने तीन दिसंबर को इस आयोजन के लिए अग्रिम बुकिंग शुरू की और प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही है।

Location: India, Delhi, New Delhi

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