12 मई को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं", वास्तविक जीवन पर आधारित फिल्म

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12 मई को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं", वास्तविक जीवन पर आधारित फिल्म
Published : Apr 24, 2023, 5:57 pm IST
Updated : Apr 24, 2023, 5:57 pm IST
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Real life based film
Real life based film "Ab Dilli Door Nahin" to release in cinema halls across the country on 12th May

यह फिल्म जिंदगी में कामयाबी और नाकामयाबी की कहानी की पड़ताल करती नजर आती है।

रांची: काफी वक्त से चर्चा में रहे मेहनतकश युवाओं के संघर्ष पर आधारित रियल लाइफ बेस्ड फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" का इंतजार खत्म होने वाली है। आगामी 12 मई को यह फिल्म देश भर के सिनेमा घरों में रिलीज होने जा रही है। इमरान जाहिद व श्रुति सोढ़ी जैसे सितारों से सजी इस फिल्म को लेकर सोमवार को राजधानी रांची के लालपुर स्थित चाणक्य आईएएस एकेडमी सभागार में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया, जिसमें फिल्म के मुख्य किरदार निभाने वाले झारखंड के लाल इमरान जाहिद, चाणक्य आईएएस एकेडमी के चेयरमैन व सक्सेस गुरू एके मिश्रा, संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट विनय मिश्रा मौजूद रहे। 

बता दें कि चाणक्य आईएएस एकेडमी के चेयरमैन व सक्सेस गुरू एके मिश्रा की प्रस्तुतिकरण फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" एक इमोशनल-ड्रामा फिल्म है, जो एक मोटिवेशनल कहानी पर आधारित है। इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग दिल्ली के मुखर्जी नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय, चाणक्य आईएएस एकेडमी के दिल्ली के सभी शाखाओं में, कमलानगर, राजेंद्रनगर, कनॉटप्लेस, तिहाड़जेल और गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन जैसी जगहों पर की गई है। फिल्म के कुछ हिस्सों को नोएडा में भी फिल्माया गया है। इस फिल्म का निर्माण शाइनिंग सन स्टूडियो के विनय भारद्वाज और संजय मवार ने किया है। इस फिल्म की कहानी दिनेश गौतम ने लिखी है और निर्देशन कमल चंद्रा ने किया है।

दरअसल फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" एक रिक्शा चालक के बेटे की कहानी से प्रेरित है, जिसका नाम गोविंद जायसवाल है। इनका चयन सिविल सेवा परीक्षा 2007 में बतौर आईएएस के रूप में हो चुका है। उस वक्त देश भर में इसकी काफी चर्चा भी हुई थी। फिल्म का नॉलेज पार्टनर देश का प्रसिद्ध संस्थान चाणक्य आईएएस एकेडमी है। उक्त जानकारी प्रेस वार्ता के दौरान इस फिल्म अभिनेता इमरान जाहिद ने दी। उन्होंने बताया कि दरअसल यह फिल्म चाणक्य आईएएस एकेडमी के चेयरमैन व सक्सेस गुरू एके मिश्रा की अपने 30 वर्षों के संघर्षों की अवधारणा पर आधारित है, जो युवाओं को प्रेरित करने के साथ साथ काफी प्रभावित करेगी। 

जाहिद ने बताया कि इस फिल्म के जरिए सक्सेस गुरू के लंबे अनुभव को भी साझा किया गया है, जो फिल्म को और भी खास बना देती है। वहीं चाणक्य आईएएस एकेडमी के चेयरमैन व सक्सेस गुरू एके मिश्रा ने बताया कि 30 वर्षों के संघर्षों के उतार- चढ़ाव के बाद सफलता की लंबी लकीर वाकई युवाओं के लिए प्रेरणादायी हो सकता है। लेकिन यह भी सच है कि जब फिल्म रिलीज होगी और इसे आप देखेंगे तो "अब दिल्ली दूर नहीं" हर एक मेहनतकश परिवार के विद्यार्थी की कहानी महसूस होगी। दरअसल यह फिल्म ऐसे तमाम युवाओं की कहानी को जोड़ पाएगा, जो एक छोटे से इलाके से जाकर दिल्ली जैसे महानगर में संघर्ष करता है और अपनी मंजिल हासिल करता है। सक्सेस गुरू ने बताया कि यह फिल्म साबित करता है कि हमारी नियति तय करने की क्षमता सितारों में नहीं बल्कि खुद में होती है। इसलिए इस फिल्म को लेकर यह कहा जा सकता है कि यह फिल्म मेहनतकश युवाओं के संघर्ष से लेकर सफलता हासिल करने तक की कहानी है।

फिल्म में चाणक्य आईएएस एकेडमी के चेयरमैन व सक्सेस गुरू ऐके मिश्रा के संघर्ष की कहानी की भी दिखेगी झलक

चाणक्य आईएएस एकेडमी के वाइस प्रेसिडेंट विनय मिश्रा बताते हैं कि संघर्ष से सफलता तक के सफर की मोटिवेशनल कहानी, जो "अब दिल्ली दूर नहीं" फिल्म में दर्शाया गया है, उस फिल्म में चाणक्य आईएएस एकेडमी के संस्थापक एके मिश्रा के संघर्ष की कहानी भी महसूस की जा सकेगी। बता दें कि झारखंड के हजारीबाग जिला स्थित बड़कागांव प्रखंड के एक छोटे से गांव लंगातु में शिक्षक के घर एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम अरूण रखा गया। ग्रामीण माहौल में परवरिश पाए अरूण विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए स्कूली पढ़ाई गांव में ही पूरी की। इसके बाद अपने कॉलेज की पढ़ाई हजारीबाग के संत कोलंबा महाविद्यालय में पूरी करने के बाद मन में आईएएस बनने का सपना संजोए देश की राजधानी दिल्ली की ओर रूख करता है।

विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए संघर्ष के दिनों में ही समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन को लेकर आईएएस बनने के बजाय युवाओं को आईएएस बनाने का ख्याल अरूण के मन में आता है और इसी उद्देश्य को लक्ष्य मानकर अरूण के द्वारा चाणक्य आईएएस एकेडमी की स्थापना राजधानी दिल्ली में वर्ष 1993 में की जाती है। अपने उद्देश्य को पूरा होता हुआ देख अरूण कुमार देश के विभिन्न हिस्सों में संस्थान की शाखाएं खोलते हैं। हालांकि इस कार्य में उन्हें अपने छोटे भाई विनय मिश्रा की काफी मदद मिलती है और विनय मिश्रा अपने बड़े भाई के कंधे से कंधे मिलाकर सफलता के भागीदार बनते हैं। और बाद में इस नेक और सामाजिक कार्य में चाणक्य आईएएस एकेडमी के वाइस प्रेसिडेंट विनय मिश्रा की पत्नी रीमा मिश्रा बतौर जनरल मैनेजर और बाद के दिनों में उनके बेटे अभिनव मिश्रा व अनुराग मिश्रा बतौर झारखंड प्रभारी इस नेक कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। इस तरह संस्थान के 30 वर्षों के सफर के बाद चाणक्य आईएएस एकेडमी से तैयारी किए 5000 से भी अधिक युवा आईएएस, आईपीएस, आईएफएस जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देश सेवा में अहम योगदान दे रहे हैं। इस खास उपलब्धि के साथ साथ अरूण कुमार मिश्रा देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में बतौर मोटिवेशनल स्पीकर भी ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। यही वजह है कि एक समय का छोटे से गांव में जन्म लेने वाला अरूण अब सक्सेस गुरू एके मिश्रा के नाम से पूरे विश्व में जाने जाते हैं।

क्या है फिल्म की कहानी

यह फिल्म जिंदगी में कामयाबी और नाकामयाबी की कहानी की पड़ताल करती नजर आती है। बिहार के एक छोटे से गांव का भोला भाला लड़का अभय शुक्ला, जो अपने घरेलू आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित रहता है, आईएएस का सपना संजोए दिल्ली आ जाता है। यहां पढ़ाई कर वह आईएएस की परीक्षा में शामिल होकर कामयाब होना चाहता है और वह ऐसा अपने घर की मुफलिसी दूर करने के लिए करना चाहता है। लक्ष्य को आधार बनाकर लगन से की गई अभय की मेहनत रंग लाती है और आगे चलकर अभय आईएएस की परीक्षा टॉप कर जाता है। हालांकि अभय के इस सफलता की राह काफी मुश्किलों से भरा है। उसका सामना चुनौतीपूर्ण सामाजिक मानदंडों से होता है। वह राजनीतिक से लेकर सांस्कृतिक विडंबनाओं का सामना करता है, जिसे इस फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है। वहीं दूसरी ओर फिल्म में समानांतर रूप से एक लव स्टोरी भी चलती रहती है। अभय की गर्लफ्रेंड की किरदार में अभिनेत्री श्रुति सोढ़ी ने शानदार काम किया है। फिल्म में वह एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है और एक पंजाबी लड़की की भूमिका में है। 
तो इस तरह देखा जाए तो "अब दिल्ली दूर नहीं" एक कंप्लीट इमोशनल ड्रामा फिल्म है, जिसे दर्शकों से भरपूर प्यार मिलने की उम्मीद है।

अभिनेता व अभिनेत्री का परिचय

झारखंड के बोकारो सेक्टर 9 में जन्में इमरान जाहिद की प्रारंभिक शिक्षा बोकारो के सेक्टर 4 डीएवी पब्लिक स्कूल में हुई और उसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। आगे अभिनय की दुनिया में अपना रुख किया और थिएटर आर्टिस्ट अरविंद गौड़ के साथ अभिनय की बारीकियां सीखीं, जिसके दम पर कहा जाता है इमरान जाहिद कमाल के कलाकार हैं। वह द लास्ट सैल्यूट जैसे प्रतिष्ठित नाटक में भी काम कर चुके हैं। यह नाटक इराकी पत्रकार मुंतधर अल जैदी की किताब द लास्ट सैल्यूट टू प्रेसिडेंट बुश पर आधारित है। इसके साथ ही इमरान ने महेश भट्ट की फिल्म अर्थ, डैडी और हमारी अधूरी कहानी पर बेस्ड कई नाटकों में भी काम किया है। फिल्म अब दिल्ली दूर नहीं में इमरान जाहिद ने अभय शुक्ला के चरित्र और कहानी को जीवंत कर दिया है। इमरान में किरदार को लेकर गहरी समझ दिखती है, जिससे उनका किरदार नेचुरल लगता है। वहीं अभिनेत्री श्रुति सोढ़ी ने जनवरी 2015 में रिलीज तेलुगू फिल्म "पटास" से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी और अब तक हैप्पी गो लकी, मिस्टर एंड मिसेज 420, वैशाखी लिस्ट और दिल विल प्यार व्यार जैसे पंजाबी फिल्म फिल्मों में काम कर चुकी हैं।

क्या है इस फिल्म की खासियत

इस फिल्म की एक सबसे बड़ी खासियत है कि फिल्म का कॉस्टयूम तिहाड़ जेल के कैदियों ने डिजाइनर विक्की सिंह के देखरेख में तैयार की है। वहीं दूसरी ओर फिल्म इंडस्ट्री के वर्तमान दौर में जब सुपर हीरो की खूब तारीफ होती है और एक आम इंसान को नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो ऐसे में इस फिल्म की कहानी बताती है कि किस तरह एक साधारण गांव का लड़का पूरे समाज को कैसे चौंका जाता है। या यूं कहें कि वह समाज की सोंच को ही बदल देता है। वह साबित करता है कि कैसे विफलता और अपमान से भरी जिंदगी में भी संघर्ष के रास्ते मंजिल के शिखर पर पहुंचा जा सकता है।

Location: India, Jharkhand, Ranchi

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