‘डायरेक्ट प्लान’ से संबंधित ढांचा एक मई से लागू होगा, जबकि AIF निवेश से...
New Delhi: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने खर्च में पारदर्शिता लाने और गलत तरीके से बिक्री पर लगाम लगाने के लिए वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) से निवेशकों को ‘डायरेक्ट प्लान’ का विकल्प देने को कहा है। इसके अलावा, सेबी ने कमीशन वितरण के लिए चरणबद्ध मॉडल शुरू करने को भी कहा है और एआईएफ के निवेश से किसी निवेशक को बाहर निकलने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं।
नियामक ने कुछ उद्योग व्यवहार के संबंध में निजी नियोजन ज्ञापन (पीपीएम) में असंगतता और पर्याप्त खुलासे की कमी के मद्देनजर ये दिशानिर्देश जारी किए हैं।
सेबी ने दो अलग-अलग परिपत्रों में कहा है कि नए नियमों का मकसद एआईएफ में निवेश के लिए निवेशकों को लचीलापन देना, खर्च में पारदर्शिता लाना और गलत बिक्री को रोकना है। ‘डायरेक्ट प्लान’ से संबंधित ढांचा एक मई से लागू होगा, जबकि एआईएफ निवेश से निवेशक को बाहर करने से संबंधित ढांचा तुरंत प्रभावी हो जाएगा।