उदाहरणस्वरूप चन्द्रवंशी जाति की आबादी कम कर 1.65% दिखलायी गई है।
पटना: चन्द्रवंशी चेतना मंच के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री डॉ. भीम सिंह ने बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित गणना के परिणाम को भ्रामक तथा त्रुटिपूर्ण बतलाते हुए कहा कि चन्द्रवंशी समाज इस परिणाम को कदापि स्वीकार नहीं कर सकता। चन्द्रवंशी समाज ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। इस जाति की आबादी काफी कम कर अंकित की गई है।
सिंह ने कहा कि जब से रिपोर्ट जारी की गईं है हमारी अनेक लोगों से बातें हुईं हैं। चन्द्रवंशी समाज सहित अनेक जातियाँ इस जातीय गणना के परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं। उनकी शिकायत है कि उनकी आबादी कम करके दर्शायी गई है। उन्हें यह भी लगता है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि कुछ जातियों की आबादी बढ़ा कर दिखलायी जा सके। लोगों ने यह भी बताया कि परिगणक उनके घर गए ही नहीं थे। मुझे भी उनकी बातों मे दम नज़र आता है।
उदाहरणस्वरूप चन्द्रवंशी जाति की आबादी कम कर 1.65% दिखलायी गई है। यह बात गले से नहीं उतरती कि सामाजिक,शैक्षिक, आर्थिक तथा राजनैतिक रूप से अत्यंत पिछड़ी जाति होने के बावजूद चन्द्रवंशी जाति की आबादी 1931 की तुलना मे बढ़ने की बजाए घट जाएगी। पर घटी दर्ज की गई है। 1931 की जनगणना में इस जाति की आबादी 1.78% थी। ओड़िशा और झारखंड के अलग हो जाने के बाद इस जाति की आबादी कम से कम 3% होगी क्योंकि मगध तथा पटना प्रमंडलों में ही यह जाति सघन रूप में बसी हुई है। सिंह ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर चन्द्रवंशियों के साथ नाइंसाफी की है। इस नाइंसाफ़ी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसके विरूद्ध शीघ्र ही आंदोलन छेड़ा जाएगा।