सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने भी इस विवाद को हल करने में कोई रुचि नहीं ली है।
Patna: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बाम दलों द्वारा आगामी विधानसभा सत्र में शिक्षक नियमावली का सदन में विरोध करने के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके द्वारा नियमावली का विरोध का निर्णय मात्र दिखावा है।
सिन्हा ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सीपीआई, सीपीएम औऱ सीपीआई (एम एल) की चुप्पी को सरकार ने उनकी मौन सहमति के रूप में ग्रहण किया।अब ये कह रहे हैं कि नियमावली लागू करने से पूर्व उनसे बिचार विमर्श नहीं किया गया।यदि वे वास्तव में इसका विरोध करते हैं तो आगामी सत्र में इस नियमावली को निरस्त करने हेतु प्रस्ताव लायें, भाजपा इसका समर्थन करेगी।
सिन्हा ने कहा कि बाहर में तो कांग्रेस भी कभी कभी नियमावली के विरोध में वयान देती है लेकिन इस दल के मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने कैबिनेट की बैठक में नियमावली का विरोध नहीं किया।यदि महागठबंधन के लोग चाहें तो इस नियमावली में संशोधन करने हेतु सरकार मजबूर होगी।
सिन्हा ने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नियोजित शिक्षकों औऱ पात्रता परीक्षा उतीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों को सीधी नियुक्ति और राज्यकर्मी का दर्जा देने का आश्वासन दिया था।लेकिन सरकार में आने पर इनकी नीयत में खोट आ गई और इन्होंने छलावा किया।विडम्बना यह है कि इन्हीं के दल के पास शिक्षा विभाग है और फिर भी ये कुछ नहीं कर रहें हैं। शिक्षा मंत्री औऱ विभागीय अपर मुख्य सचिव की लड़ाई से न तो शिक्षकों का भला होगा न ही राज्य के छात्रों का।
सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने भी इस विवाद को हल करने में कोई रुचि नहीं ली है। मुख्यमंत्री से मिलने के वाद शिक्षा मंत्री को वित्त मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी के कार्यालय में वुलाया गया, यह शिक्षा मंत्री का अपमान है क्योंकि मंत्रियों का दर्जा एक समान है।मंत्रियों को अपमानित करने की सरकार की यह कार्यशैली पुरानी है।
सिन्हा ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था अस्तव्यस्त हो गई है।पटना में अबस्थित महाविद्यालयों में छात्र नामांकन लेने से परहेज कर रहे हैं औऱ सीट खाली रह जा रही है।बिभाग में रोज नया नया विवाद के कारण शिक्षा का माहौल विगड़ते जा रहा है।बिहार के छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलबाड़ किया जा रहा है।राज्य में शिक्षा को रसातल में ले जाने के लिए राज्य की बर्तमान सरकार को राज्य की जनता माफ नहीं करेगी।
सिन्हा ने कहा कि नौकरशाही द्वारा विधायिका को अपमानित करने की परंपरा बिहार में शुरू हो गई है। सरकार इसमें भरपूर प्रोत्साहन दे रही है।राज्य की जनता के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन में पदाधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं।यह लोकतंत्र का अपमान है।मुख्यमंत्री जी को इसपर संज्ञान लेना चाहिए और जनप्रतिनिधियों के अधिकार को बहाल करने हेतु कार्रवाई करनी चाहिए।