शारदा सिन्हा के छठ पूजा गाए गीत भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।
Bihar's nightingale Sharda Sinha passes away News In Hindi: ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 72 वर्ष की थीं।
सिन्हा का एम्स अस्पताल में मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का रक्त कैंसर) का उपचार किया जा रहा था और स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं को राज्य की सीमाओं से बाहर भी लोकप्रिय बनाने वालीं शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख गीतों में ‘‘छठी मैया आई ना दुआरिया’’, ‘‘कार्तिक मास इजोरिया’’, ‘‘द्वार छेकाई’’, ‘‘पटना से’’, और ‘‘कोयल बिन’’ शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी गाना गया था। इनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर- टू’ के ‘तार बिजली’, ‘हम आपके हैं कौन’ के ‘बाबुल’ और ‘मैंने प्यार किया’ के ‘कहे तो से सजना’ जैसे गाने शामिल हैं।
शारदा सिन्हा के छठ पूजा गाए गीत भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। उनका निधन चार दिवसीय छठ महापर्व के पहले दिन हुआ। किसी भी छठ घाट पर उनके गाये गीतों जरूर बजाये जाते थे।
सिन्हा एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका थीं, जिन्होंने अपने कई गीतों में लोक संगीत का मिश्रण किया। उन्हें अक्सर ‘मिथिला की बेगम अख्तर’ कहा जाता था। वह हर साल छठ पर्व पर एक नया गीत जारी करती थीं। उन्होंने इस साल स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद भी उन्होंने छठ पर्व के लिए एक गीत जारी किया था।
शारदा सिन्हा के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर उनके द्वारा गाया गया गीत ‘‘दुखवा मिटाईं छठी मईयां’’ एक दिन पहले ही साझा किया गया था। यह गीत शायद उनकी मनःस्थिति को दर्शाता है, जब वह खराब स्वास्थ्य से जूझ रही थीं।
एम्स के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘शारदा सिन्हा का सेप्टीसीमिया के कारण ‘रिफ्रैक्टरी शॉक’ के चलते रात नौ बजकर 20 मिनट पर निधन हो गया।’’
सिन्हा को पिछले महीने एम्स के कैंसर संस्थान, इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल (आईआरसीएच) की गहन देखभाल इकाई में भर्ती कराया गया था।
शारदा सिन्हा साल 2017 से मल्टीपल मायलोमा से जूझ रही थीं और कुछ महीने पहले ही उनके पति का निधन हो गया था। उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी हैं।
शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषाओं में लोकगीत गाए थे और उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया और कहा कि उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!"
पार्श्व गायक सोनू निगम ने कहा कि ‘‘छठ पूजा के महान पर्व के दौरान आदरणीय शारदा सिन्हा जी को खोना अत्यंत दुखद है।’’
भोजपुरी अभिनेता एवं नेता रवि किशन ने कहा कि सिन्हा की आवाज के बिना हर त्योहार खाली लगता था, खासकर छठ का त्योहार। यही वजह है कि ‘‘छठी मैया’’ ने उन्हें इस दौरान अपने पास वापस बुला लिया।
‘बिहार कोकिला’ के नाम से मशहूर एवं सुपौल में जन्मीं सिन्हा छठ पूजा एवं विवाह जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीतों के कारण अपने गृह राज्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मशहूर थीं।
सिन्हा ने 1970 के दशक में पटना विश्वविद्यालय में साहित्य का अध्ययन किया और उसी दौरान उनके मित्रों और शुभचिंतकों ने उन्हें गायन के प्रति अपने जुनून को निखारने के लिए प्रेरित किया था।
उन्होंने दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और साथ ही लोक गायिका के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। इसके बाद फिल्म जगत में भी सिन्हा को पहचाने जाना लगा।
शारदा सिन्हा ने 1990 की मशूहर बॉलीवुड फिल्म ‘‘मैंने प्यार किया’’ में ‘‘कहे तोसे सजना’’ गीत गाया था और लोगों ने इस गाने को बहुत ज्यादा पसंद किया था। इस फिल्म में सलमान खान ने मुख्य भूमिका निभायी थी।
शारदा सिन्हा इसके बाद और ज्यादा लोकप्रिय हो गईं और उन्होंने अपनी आवाज के माध्यम से लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाना जारी रखा। हालांकि उन्होंने इस बात का ध्यान भी रखा कि वह कभी भी घटिया और द्विअर्थी गीत न गाएं।