न्होंने कहा कि आज मछुआरा समाज विषम परिस्थिति से गुजर रहा है, अपना पेशा छोड़ने को मजबूर है।
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वतंत्रता दिवस पर मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बिहार की झांकी दिखा कर बिहार की जनता को ठगने का काम कर रहें हैं। मछुआरा समाज उनके झांसे में नहीं आने वाला है। आज भी मछली के लिए बिहार आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर निर्भर है। अकेले पटना जिला में प्रत्येक दिन 8 से 10 ट्रक मछली का आयात आन्ध्रप्रदेश से किया जा रहा है। न्याय के साथ विकास करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनावी फायदे के लिए मछुआरा समाज से भद्दा मजाक नहीं करना चाहिए।
वे आंकड़ों की बाजीगरी दिखा कर बिहार को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर दिखाना बंद करें। मेरी सलाह है कि भाईचारा यात्रा कर रहे है तो कभी मछुआरा भाईचारा यात्रा कर उनकी वास्तविक स्थित से अवगत भी हो लें। यह बात मछुआरों की सहकारी संस्था कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कही।
उन्होंने कहा कि आज मछुआरा समाज विषम परिस्थिति से गुजर रहा है, अपना पेशा छोड़ने को मजबूर है। मछुआरा समाज सुरक्षित रहे उसके लिए सरकार द्वारा मछुआरा एवं मछली का बीमा की राशि निर्गत नहीं की गई है। मछली उत्पादक किसानों की बैंक सुध नहीं ले रही है उन्हें मत्स्य किसान क्रेडिट कार्ड नहीं दे रही है। मछुआरा के हितों के लिए गठित आयोग किस कोने में है पता नहीं। श्री कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर शायद उम्र हावी हो गई है तभी वे अपनी घोषणा को भूल गए हैं। एक दशक पहले मछुआरों को एक रूपये टोकन राशि पर तालाब की बंदोबस्ती देने का वादा किया था जो आज तक पूरा नहीं हुआ। उल्टे तालाबों के राजस्व में सौ से दो सौ प्रतिशत राशि की बढोŸारी कर दी गई इसलिए मुख्यमंत्री को यह समझना होगा कि मछुआरा समाज को आत्मनिर्भर किये बिना बिहार मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है।