केंद्र सरकार के द्वारा विपक्षी दलों के साथ-साथ आम आवाम की आवाज पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है।
पटना: अघोषित आपातकाल विरोधी संघर्ष मोर्चा के संयोजक पत्रकार अमलेन्दु मिश्रा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राणा रणवीर सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव निराला यादव, मैथिली रंगकर्मी कुणाल, बांग्ला साहित्यकार एवं ट्रेड यूनियन नेता विद्युत पाल हिरावल के संतोष झा, राजद नेत्री नसीमा जमाल, शिवसेना उद्धव गुट के अध्यक्ष कौशलेंद्र शर्मा , देशप्रेम अभियान के कुंदन लाल सहगल , आम आदमी पार्टी के हिमांशु पटेल, किसान नेता बीबी सिंह, जदयू के चंद्रिका सिंह दांगी, कांग्रेस के अमित कुमार, ट्रेड यूनियन नेता अरुण कुमार मिश्रा, भाकपा के विश्वजीत, भोजन का अधिकार संगठन के रुपेश, इप्टा के तनवीर अख्तर ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश विकट परिस्थितियों से गुजर रहा है। एक और देश में सत्तारूढ़ दल के द्वारा संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है, तो दूसरी ओर आम आदमी महागाई, बेरोजगारी एवं भुखमरी से त्रस्त है। सरकार अपनी वाहवाही करने में मस्त है।
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस प्रकार देश को तानाशाहीपूर्ण ढंग से चला रहे हैं, उससे लगता है कि देश संविधान से नहीं, बल्कि आरएसएस के संविधान से चल रहा है। देश के तमाम संवैधानिक संस्थाओं पर आरएसएस के लोगों को बैठा दिया गया है । जिससे तमाम संवैधानिक संस्थाएं पंगु हो गई है । देश में संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है . जो लोग सरकार की गलत नीतियों का विरोध करते हैं, उन्हें देशद्रोही करार देने में सरकार कोई देर नहीं करती है। जो सरकार का विरोध करते हैं, उन्हें जेल के अंदर डाल दिया जा रहा है। इस तरह की तानाशाही तो जब देश में आपातकाल लागू था, तब भी नहीं था। आज देश की परिसंपत्तियों को सरकार ओने पौने दामों में अपने मित्र पूंजीपतियों के हाथों बेचने का काम कर रही है। उससे लग रहा है कि जल्द ही देश इन्हीं पूंजीपतियों का गुलाम होकर रह जाएगा। हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था में जिस प्रकार सरकार का महत्व है , उसी प्रकार विपक्ष का भी महत्व होता है । परंतु जिन राज्यों में विपक्ष की चुनी हुई सरकारें हैं, वहां विधायकों को, उसके नेताओं को सीबीआई, ईडी एवं आईटी का डर दिखाकर या तो अपने पार्टी में मिलाने का काम कर रही है । जो लोग उनकी बातों को नहीं मान रहे हैं, उन्हें ईडी की गंभीर धाराओं में, मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जेल भेजने का काम किया जा रहा है। जोकि बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण एवं लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
केंद्र सरकार के द्वारा विपक्षी दलों के साथ-साथ आम आवाम की आवाज पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। केंद्र सरकार ने आईटी एक्ट में चुपके से संशोधन कर दिया है , जिससे कि सोशल साइट पर भी सरकार के खिलाफ अगर आप लिखते हैं , तो उसे हटा दिया जाएगा यह सरकार के द्वारा संविधान की धारा 19 का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है और बोलने , लिखने की आजादी पर हमला है।
इन सभी मुद्दों को देखते हुए बुद्धिजीवी, पत्रकार एवं सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर इस तरह के अघोषित आपातकाल का विरोध करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय के तहत दिनांक 13 अप्रैल, बृहस्पतिवार को सुबह 10:30 बजे जेपी मूर्ति, इनकम टैक्स गोलम्बर से सप्त मूर्ति शहीद स्मारक तक मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन जुलूस निकालकर विरोध व्यक्त करने का निर्णय लिया है तथा लोगों से इस जन कार्रवाई में बढचढ कर भाग लेने की अपील की है ।