उपाध्यक्ष जीबोधन ने फरक्का बराज के चलते नदियों में मछली की कमी हो गई है चिंता व्यक्त किया।
पटना: पटना के पुनाईचक में अवस्थित बिहार निषाद संघ के प्रदेश कार्यालय में आयोजित मछुआरा दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संघ के प्रदेेश अध्यक्ष ई हरेंद्र प्रसाद निषाद ने बिहार जलकर प्रबंधन विधेयक 2006 की धारा-2 के संशोधित अधिनियम 2007 एवं 2010 के आलोक में माननीय न्यायालय निबंधक सहयोग समितियां बिहार के आदेशानुसार परम्परागत मछुआ जाति की सूची जारी न करने के लेकर सरकार पर रोष प्रकट किया।
मौके पर संघ के प्रधान महासचिव सह कोषाध्यक्ष अवध कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार मछुआरा दिवस सिर्फ नाम के लिए घोषणा कर रखा है लेकिन बिहार के मछुआरों के प्रति बिहार सरकार का रवैया उपेक्षित है जिसके कारण मछुआरों की योजना यथा मछुआ आवास भूमिहीन मछुआरों को पांच डिसमिस जमीन का आवंटन, शहरों में खुले आकाश में रोड किनारे पर मछुआरों के लिए मछली बेचने हेतु फिश मार्केट का निर्माण इत्यादि अधर में लटका हुआ है। संघ के उपाध्यक्ष विनय कुमार विद्यार्थी ने पंचायत स्तरीय मत्स्यजीवी सहयोग समितियां बनाने की मंशा का विरोध किया।महासचिव दिलीप कुमार निषाद एवं सुरेश प्रसाद सहनी ने कहा कि सरकार राज्य के सभी तालाबों जलाशयों का जीर्णोद्धार कर तालाबों का अतिक्रमण मुक्त करें, शिकारमाही के क्रम में अपराधियों के द्वारा मछुआरों का शोषण इत्यादि पर रोक जैसी मागों पर ईमानदारी से लागू यदि करे तो राज्य में अतिरिक्त 2 मैट्रिक टन मछली के उत्पादन में वृद्धि किया जा सकता है।
उपाध्यक्ष जीबोधन ने फरक्का बराज के चलते नदियों में मछली की कमी हो गई है चिंता व्यक्त किया। संघ के कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर सहनी ने दुःख प्रकट करते हुए निषाद समाज के कुछ नेताओं द्वारा अलग अलग निषाद के उपजातियों का सम्मेलन कर क्या जताने चाहते है पूछा और चेताया कि इससे फूट पैदा होगी और अंततोगत्वा समाज का नुकसान होगा।
संघ द्वारा राजद के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद कुमार सहनी को चादर फूल माला से सम्मानित किया गया . साथ ही संघ के उपाध्यक्षा कुसुम देवी एवं पटना सदर प्रखंड के मत्स्यजीवी सहयोग समिति के अध्यक्ष पद पर नवनिर्वाचित अजय सिंह निषाद को भी चादर फूल माला से सम्मानित किया गया।मौके पर रामभजन निषाद राजेश कुमार, मनोज कुमार निषाद, जीतेन्द्र कुमार, सुरेश कुमार निषाद, रामजतन चौधरी कैलास चौधरी, सतीश कुमार मदन प्रसाद सिंह, अजित सिंह ललित, नेटवर नागर, नन्द किशोर सहनी, संजीत कुमार, रघुवीर महतो,उपेंद्र कुमार, रत्न सहनी,श्याम लाल सहनी,कैलाश सहनी जयमंगल चौधरी अखिलेश चौधरी ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए।