जदयू महासचिव ने कहा कि जिला प्रशासन की सजगता से मेला में परिजनों से बिछड़ने वाले लोगों को भी मिलाया जा रहा है.
Patna: राजगीर में चल रहे मलमास मेले की सफलता में बारे में बताते हुए जदयु के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि राजगीर में आयोजित मलमास मेला सफलता के नित नए आयाम स्थापित कर रहा है. रोजाना लाखों की तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. ऐसा प्रतीत होता है कि शास्त्रों में वर्णित 33 कोटि देवताओं का साक्षात आशीर्वाद इस मेले को मिल रहा है. यही वजह है कि अभी तक 3.5 करोड़ से अधिक लोगों के आने के बाद भी किसी को असुविधा नहीं हुई है. हर तरफ शांति और पवित्रता का माहौल कायम है.
राजगीर में मलमास मेले में श्रद्धालुओं को मिल रही सुविधाओं को लेकर आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के कामों की जमकर सराहना उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस आयोजन को लेकर शुरुआत से सक्रिय रहे हैं और यहां के इंतजामों की निरंतर रिपोर्ट ले रहे हैं. यहां तक कि उन्होंने इसे राजकीय मेले तक का दर्जा दिया हुआ है. उनके निर्देशानुसार यहां आने वाले श्रद्धालुओं की जरूरत के सारे इंतजाम किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि एक छोटे से शहर राजगीर में इस राजकीय मेले के आयोजन के दौरान राज्य सरकार के नेतृत्व में जिला प्रशासन चैबीसों घंटे काम करते हुए श्रद्धालुओं की हर छोटी से छोटी समस्याओं को सुलझा रहा है. इस मेले में जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के रहने, खाने, पीने से लेकर चिकित्सा तक के लिए बेहतरीन इंतजाम किये गये हैं. यहां तक कि प्रशासन द्वारा खाद्य सामग्री व पेयजल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए निरीक्षकों की टीम भी लगाई गई है, जो घूम-घूम कर खाने-पीने की सामग्री की गुणवत्ता की जांच करते हैं. इसके अलावा कई प्रकार की अस्थाई संरचनाएं, प्रतीक्षालय पंडाल, यूरिनल, शौचालय, चेंजिंग रूम, मेडिकल सेंटर, नियंत्रण कक्ष, पुलिस आउटपोस्ट भी बनाए गए हैं
जदयू महासचिव ने कहा कि जिला प्रशासन की सजगता से मेला में परिजनों से बिछड़ने वाले लोगों को भी मिलाया जा रहा है. 11 अगस्त तक 12069 बिछड़े लोगों को उनके परिजनों से मिलवाया गया है, जिसमें 712 बच्चे शामिल हैं. उन्होंने कहा कि राजगीर मलमास मेले के बेहतर प्रबंधन को देख यह कहा जा सकता है कि यह नगरी वाकई में बैकुंठ बन चुकी है, जहां लोग पहुंचते ही भक्ति भावना में लीन हो जा रहे हैं.11 अगस्त तक विभिन्न कुण्ड में करीब बीस लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया।