विभाग ने वर्ष 2023-24 में इन योजनाओं के लिए 80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं...
पटना: बिहार सरकार ने सभी जिलों के उप-विकास आयुक्तों (डीडीसी) को राज्य प्रायोजित 'मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना' (एमएमजीएवाई) का ‘लोगो’ ग्रामीण इलाकों में उन सभी मकानों पर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है, जिनका निर्माण इस योजना के तहत किया गया है।
उप-विकास आयुक्तों और जिला प्रशासन के संबद्ध अधिकारियों को जारी एक हालिया परिपत्र में, राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने डीडीसी को एमएमजीएवाई और 'मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय सहायता योजना' के तहत निर्माण किए जा रहे आवास पर ‘लोगो’ प्रदर्शित करना सुनिश्चित करने को कहा है।
बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि 1996 से पहले इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के तहत बने आवास जर्जर हो गए हैं। इनमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के परिवार रहते हैं। उन्होंने कहा कि इन परिवारों को केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जा रही आवास योजनाओं से लाभ नहीं मिलता है क्योंकि उन्हें पहले ही आईएवाई के तहत धन उपलब्ध कराया जा चुका है।
कुमार ने कहा कि लेकिन अब इनके आवास जर्जर स्थिति में हैं और यदि इन परिवारों के पास उपयुक्त आवास सुविधाएं नहीं है तो अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन परिवारों के लिए कोई मायने नहीं रखता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जो लोग मौजूदा योजनाओं के तहत आवास का निर्माण करने के लिए राशि प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं, उन्हें राज्य सरकार ने धन मुहैया करने का निर्णय लिया है, ताकि वे अपना घर बना सकें और एमएमजीएवाई एवं मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय सहायता योजना के तहत अपने पक्के घरों के निर्माण के लिए जमीन (जिनके पास नहीं है) खरीद सकें।’’
मंत्री ने कहा, "चूंकि आवास के निर्माण के लिए इन योजनाओं के तहत पूरी धनराशि राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है, इसलिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि आवास पर ‘लोगो’ प्रदर्शित करना सुनिश्चित कर यह बताया जाए कि इसका निर्माण एमएमजीएवाई और मुख्यमंत्री आवास स्थल क्रय सहायता योजना के तहत किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि विभाग ने वर्ष 2023-24 में इन योजनाओं के लिए 80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं और लाभार्थियों की अंतिम सूची तैयार होने के बाद इसे और बढ़ाया जाएगा।
मंत्री ने बताया कि जिन लोगों के पास जमीन नहीं है, विभाग उन्हें मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय सहायता योजना के तहत आवास के लिए भूखंड खरीदने में मदद करने के लिए 60,000 रुपये और आईएवाई के तहत निर्मित जीर्ण-शीर्ण आवासों के जीर्णोद्धार के लिए 1.20 लाख रुपये प्रदान करेगा।.
उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा एक अप्रैल, 2016 से आईएवाई योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के रूप में पुनर्गठित किया गया था।.
मंत्री ने कहा, "मैंने अधिकारियों को पीएमएवाई-जी के तहत बनाए जा रहे आवास पर भी ‘लोगो’ प्रदर्शित करने के लिए कहा है, जिसमें उल्लेख किया जाएगा कि योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 40 प्रतिशत धनराशि प्रदान की गई है। पीएमएवाई-जी योजना के तहत सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का मकान मुहैया किया जा रहा है। दो चरणों में, सभी पात्र ग्रामीण परिवारों को पानी, स्वच्छता और बिजली सहित सभी मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।".
वहीं, भाजपा की प्रदेश इकाई के वरिष्ठ नेता निखिल आनंद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "जब पीएमएवाई कई राज्यों में बड़ी सफलता बन गई है, तब बिहार सरकार अब अपनी मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना शुरू कर रही है। यदि वे जरूरतमंदों और गरीबों को घर मुहैया करने के लिए इतने उत्सुक थे तो उन्होंने एमएमजीएवाई को पहले क्यों नहीं शुरू किया।’’.
उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं बिहार में न तो शुरू की गईं और न ही ठीक से लागू की गईं। आयुष्मान भारत एक और ऐसी योजना है जिसे बिहार सरकार ने जानबूझकर विफल कर दिया है और केवल 17 प्रतिशत कार्ड बनाए जा सके।’’.
उन्होंने आरोप लगाया,"बिहार में केंद्र से मिली राशि का बुरी तरह दुरुपयोग किया जा रहा है और सरकारी खजाने का पैसा बर्बाद किया जा रहा है... क्षुद्र राजनीति को विकास और लोगों के कल्याण के बीच नहीं लाया जाना चाहिए।"