उन्होंने कहा कि इस नियमावली से बहुत उम्मीद थी, जो निराशा में बदल गई है।
पटना, (संवाददाता ) : भारतीय लोकमंच पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव कुणाल सिकंद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा कि 7वें चरण की शिक्षक नियुक्ति के लिए जो कैबिनेट में निर्णय हुआ है। वो बिल्कुल गलत फैसला सरकार ने लिया है। जब आयोग से ही शिक्षक की बहाली करनी थी तो चार सालों से बिहार सरकार क्यों इस बहाली को रोक कर रखी थी? पिछले चार सालों से बहाली के इंतज़ार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों को इस नियमावली से बहुत उम्मीद थी, जो निराशा में बदल गई है।
जब सरकार आयोग से ही शिक्षक की बहाली योजना बनाई हुई थी तो उनको इतना समय युवाओ का बर्बाद नही करनी चाहिए था। सरकार को 7वें चरण की नियुक्ति आयोग के द्वारा नही बल्कि पूर्व में जैसे बहाली होती थी वैसे लेनी होगी। नियोजित शिक्षकों का आयोग के द्वारा परीक्षा सरकार ले ये बहुत अच्छी बात है पर जो नियोजित शिक्षक आयोग के परीक्षा में पास नही कर पाये उनको विद्यालय से हटाकर दूसरे विभाग में पदस्थापित करें और साथ मे राज्य कर्मी की दर्जा उनको भी प्रदान करें।
सरकार को सोचना चाहिए कि जब छात्र बीएड, सीटीईटी जैसे कठिन परीक्षा पास किये अभ्यर्थी विद्यालय में छात्रों को पढ़ाने के लिए काफी है। सरकार सातवें चरण नियुक्ति के बाद आयोग से परीक्षा लें। लेकिन जो अभ्यर्थी वर्षो से विद्यालय जा कर एक नया बिहार गढ़ना चाहते है सरकार उनको जल्द मौका प्रदान करे ताकि एक नया बिहार अभ्यर्थियों के द्वारा गढ़ा जा सकें। अगर महागठबंधन सरकार धरना स्थल से ले कर सड़क तक युवाओ के कड़ी संघर्ष को नज़र अंदाज़ करेगी तो बिहार का बच्चा बच्चा समझ जायेगा कि महागठबंधन सरकार युवा विरोधी है। बिहार सरकार को सातवें चरण की विज्ञप्ति जारी तो करनी ही होगी और बहाली के बाद राज्यकर्मियों की दर्जा देने होगा।