सिन्हा ने कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
पटना: बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा उत्पाद, मद्यनिषेध एवम निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव सहित अन्य आला अधिकारियों पर 50 हजार रुपया जुर्माना लगाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा है कि शराबबंदी कानून का गलत उपयोग कर अधिकारी जनता को प्रताड़ित कर रहे है।
सिन्हा ने कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। निजी स्वार्थ हेतु इसका मनमाना उपयोग कर अधिकारी मालामाल हो रहे है। शराबबंदी कानून का मुख्य उदेश्य राज्य में शराब की आपूर्ति और इसका उपयोग बंद करबाना था।लोगों को शराब नहीं मिले,इसकी चाक चौबंद व्यवस्था करनी थी। परंतु सरकार की अकर्मण्यता के कारण यह लक्ष्य असफल हो गया है।
सिन्हा ने कहा कि राज्य मे शराब की होम डिलीभरी हो रही है। शराबबंदी लागू होने के 7 वर्ष बीत चुके है। शराब माफियाओं ने इस व्यवसाय मे हजारों नाबालिगों को भी लगा रखा है। वे घर-घर शराब पहुँचाने का काम करते है। पुलिस और प्रशासन के सक्रिय सहयोग से शराब की आपूर्ति निर्वाध हो रही है।शराब माफियाओं की सत्ता से निकटता, सहभागिता औऱ नीडरता के कारण ये भय मुक्त है।शराब के अवैध व्यवसाय में इनकी जड़े गहरी हो गई है।कभी कभार ये अपने शराब के एक आध खेप को खुद सूचना देकर पुलिस से पकड़बा देते हैं।
सिन्हा ने कहा कि राज्य में जहरीली शराब से सैकडों लोगों की मौत हो चुकी है। जहरीली शराब का कारोबार भी फलफूल रहा है। सरकार इसे भी नहीं रोक पा रही है।भाजपा के दबाब में सरकार ने जहरीली शराब से मृतकों के परिजनों को अब मुआबजा देना शुरू किया है।
सिन्हा ने कहा कि शराबबंदी कानून का पालन करने के नाम पर गरीबों को जेल में बंद किया जा रहा है।दलित, अति पिछड़े सहित सभी तबके के कमजोर औऱ गरीब लोग इससे पीड़ित हो रहे हैं।इनमें ज्यादातर लोग निर्दोष रहते हैं।मुकदमा औऱ जेल के कारण इन्हें कानूनी प्रक्रिया में जाना पड़ता है।काफ़ी खर्च भी होता है।सरकार को इन गरीबों पर सहानभूति रखते हुए,इन्हें कानूनी सहायता उपलब्ध कराना चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री को ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिये कि पुलिस प्रशासन और माफियाओं के गठबंधन के कारण शराबबंदी कानून विफल हो चुका है। इस गठजोड़ को तोड़ने और शराबंदी को सफल बनाने हेतु सरकार को सख्ती से निपटना होगा।
सिन्हा ने कहा कि माफियाओं, अधिकारियों और सत्ताधारी दलों के नेताओं द्वारा राज्य में शराबबंदी कानून का उल्लंघन के कई मामले उजागर हुए हैं।इन मामलों में कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की गई है।नियमानुसार उन्हें भी जेल में होना चाहिए।सरकार से मांग करते हैं कि एक श्वेत पत्र जारी करे ताकि राज्य की जनता भी शराबबंदी कानून के नाम पर हो रहे धांधलियों से अवगत हो सके।