इन्हें वोटों की खेती करने में आसानी हो.
पटना: भाजपा पर शराब माफियाओं का मनोबल बढ़ाने का आरोप लगाते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि भाजपा के नेताओं के बयानों से स्पष्ट है कि बिहार में बिकने वाली अवैध शराब के बारे में उनसे बेहतर कोई और नहीं जानता. इसके बावजूद यह लोग शराब बेचने वालों के बारे में सरकार को कुछ नहीं बताते. शराब माफियाओं को भाजपा के मिल रहे सहारे और समर्थन का इससे बड़ा उदहारण और क्या हो सकता है.
उन्होंने कहा कि शराब माफियाओं से भाजपा की हमदर्दी इतनी है कि इनके एक बड़े नेता तो शराबबंदी कानून को शिथिल करने की मांग तक कर चुके हैं. इससे साफ़ है कि शराबियों को हतोत्साहित करने के बजाए यह लोग उन्हें शराब पीने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. इससे प्रतीत होता है कि भाजपा नेताओं और शराब माफियाओं में कोई अंदरूनी साठ-गांठ है. यदि ऐसा नहीं है तो भाजपा को बताना चाहिए कि भाजपा विधायकों और सांसदों ने अपने स्तर से शराब के खिलाफ आज तक कितने जागरूकता कार्यक्रम चलाए हैं? वह बताए कि उनके संगठन ने आज तक कितने शराब माफियाओं को पकड़वाने में पुलिस की मदद की है? वह कम से कम इतना ही बता दें कि सरकार द्वारा अवैध शराब के धंधे के बारे में जानकारी देने के जारी टोल फ्री नंबर पर उनके नेताओं ने कितनी बार जानकारी दी है.
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि दरअसल भाजपा की उन्माद की राजनीति को प्रदेश में छाया सुख-शांति का वातावरण सूट नहीं करता. इसी लिए यह लोग शराबबंदी के खिलाफ माहौल तैयार करने का प्रयास करते रहते हैं. इनकी मंशा है कि इस कानून को समाप्त कर महिलाओं को फिर से हिंसा की आग में झोंक दिया जाए और गरीबों के पैसे फिर से दारु बेचने वालों के पास जाने लगे. यह चाहते हैं कि गरीबों के बच्चों की शिक्षा और पोषण पर खर्च हो रहे पैसे फिर से नशे पर उड़ने लगें, जिससे इन्हें वोटों की खेती करने में आसानी हो.