
सीबीआई ने 18 मई, 2022 को अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
Lalu Prasad Yadav News In Hindi: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को बुधवार (19 मार्च) को जमीन के बदले नौकरी के धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए पेश होने के लिए समन जारी किया है। 77 वर्षीय नेता को पटना में संघीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है।
लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव और पत्नी राबड़ी देवी समेत उनके परिवार के कुछ सदस्यों को भी आज (18 मार्च) संघीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। उनके बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए जाने हैं। ऐसे में आज सुबह बिहार की पूर्व सीएम और आरजेडी नेता राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े मामले में ईडी दफ्तर पहुंचीं।
पटना, बिहार: बिहार की पूर्व सीएम और आरजेडी नेता राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े मामले में ईडी दफ्तर पहुंचीं। pic.twitter.com/gLjD78GscC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 18, 2025
सीबीआई जांच और मामले का विवरण
इससे पहले पिछले साल 29 मई को कोर्ट ने सीबीआई को नौकरी के लिए जमीन मामले में निर्णायक चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने समय दिए जाने के बावजूद निर्णायक चार्जशीट दाखिल न करने पर भी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने 4 अक्टूबर 2023 को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और अन्य को कथित नौकरी के लिए जमीन घोटाले मामले में पहले की चार्जशीट के संबंध में जमानत दे दी थी।
सीबीआई के अनुसार, दूसरा आरोप पत्र तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री, उनकी पत्नी, बेटे, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ, निजी व्यक्तियों, निजी कंपनी आदि सहित 17 आरोपियों के खिलाफ था। सीबीआई ने नौकरी के लिए जमीन घोटाले से संबंधित एक मामले में पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव सहित बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ नौकरी के लिए जमीन कथित घोटाला मामले में आरोप पत्र दायर किया।
नौकरी के लिए जमीन का मामला
सीबीआई ने 18 मई, 2022 को तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने 2004-2009 की अवधि के दौरान रेलवे के विभिन्न जोनों में ग्रुप "डी" पद पर स्थानापन्नों की नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों आदि के नाम पर जमीन-जायदाद के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था। यह भी आरोप लगाया गया कि इसके बदले में स्थानापन्नों ने, जो स्वयं पटना के निवासी थे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से पटना में स्थित अपनी जमीन को उक्त मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में बेच दिया और उपहार में दे दिया, जो उक्त परिवार के सदस्यों के नाम पर ऐसी अचल संपत्तियों के हस्तांतरण में भी शामिल थी।
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