आज प्रशांत किशोर वैशाली के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए।
Patna: जन सुराज पदयात्रा के 199वें दिन की शुरुआत पटेढ़ी बेलसर प्रखंड अंतर्गत चक गुलामुद्दीन पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने जिले के पत्रकारों के साथ संवाद किया। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ चक गुलामुद्दीन पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा जारंग रामपुर, मझौली, रीखर, पुरनटांड, प्रतापटांड पश्चिम होते हुए लालपुरा प्रखंड के पुरैनिया पंचायत स्थित गाँधी मैदान में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची।
आज प्रशांत किशोर वैशाली के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 2 आमसभाओं को संबोधित किया और 7 पंचायत के 9 गांवों से गुजरते हुए 13.9 किमी की पदयात्रा तय की।
जन सुराज पदयात्रा शिविर में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने अतीक अहमद से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि मैं उन लोगों में से हूं जो रूल ऑफ लॉ फॉलो करने में विश्वास करता हूं। किसी का एनकाउंटर करना जो कानून के खिलाफ है या न्यायसंगत नहीं है, मैं उसके पक्ष में नहीं हूं। आज जनता ताली बजा रही है या फिर समाज का एक वर्ग इसे अच्छा मान रहा है, इससे यह जाहिर होता है कि जनता कितनी त्रस्त थी।
UP सरकार के लिए बेहतर यह होता कि वह फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाती। एक महीने में सुनवाई होती उसके बाद जो सजा होना होता हो जाता। मैं पुलिस राज के पक्ष में नहीं हूं। हमलोगों की ताकत लोकतंत्र है, संविधान संगत जो व्यवस्था बनाई गई है, उन कमियों को सुधारने के लिए हम संविधान को ही बदल दें यह ठीक नहीं है। संविधान में जो व्यवस्था है उसमें कुछ कमी हो सकती है, मगर उस कमियों को सुधारने की जगह संविधान के प्रावधानों को ही बदल दें यह किसी भी सूरत में सही नहीं है। देश को पुलिस राज बनाना सही नहीं है। आज जो पुलिस वाला गोली किसी और पर चला रहा है हो सकता है वह गोली हम पर आप पर चला दे, इसलिए यह तरीका सही नहीं है।
वैशाली में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 के नीतीश कुमार और आज के नीतीश कुमार में प्रशासक, नेता और व्यक्ति के तौर पर जमीन आसमान का फर्क है। 2014 में नीतीश कुमार प्रशासक के तौर पर उन्होंने 2005 से 2012 में काम किया था जिसका असर बिहार में दिखा भी था। जिस समय वो लोकसभा का चुनाव हारे थे तब उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छोड़ दी थी। उस समय नीतीश कुमार चुनाव नहीं हारे थे उनकी पार्टी चुनाव हारी थी लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, पर 2020 में नीतीश कुमार चुनाव हार गए थे 243 में से 45 विधायक जीते तो आप चुनाव तो हार गए हैं। लेकिन आज के मौजूदा दौर में नीतीश कुमार कोई न कोई जुगत लगाकर कभी भाजपा का पैर पकड़ कर कभी लालटेन पर लटककर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके हुए हैं। आज के जो नीतीश कुमार है वो अपनी विश्वसनीयता खत्म कर चुके हैं।
वैशाली में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने राजद पर हमला बोलते हुए कहा कि देश की संसद में 543 सांसदों में से RJD के जीरो सांसद हैं। लोगों को लगता होगा कि राजद बहुत बड़ा दल है, लेकिन चुनाव की समझ हमको भी है, पिछले 10 साल हमने भी यही काम किया है। पिछले विधानसभा में कुछ परिस्थितियां बन गई जिसके चलते उनके 20-30 विधायक ज्यादा जीत गए। अगर कोई अपने घर के बाहर प्रधानमंत्री की कुर्सी और उनका पोस्टर लगा दे तो इसका क्या मतलब है? कल को हम अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी पर किसी को बैठा दें तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप राष्ट्रपति बन जाएंगे। RJD का खुद का ठिकाना नहीं है और वो देश का प्रधानमंत्री बनाएंगे? RJD की राजनैतिक ताकत बस इतनी सी है कि वो अपना 1 सांसद आज बिहार में जीता नहीं पा रहे हैं।