उन्होंने बताया कि बिहार में तो इनके प्रदेश अध्यक्ष ही परिवारवाद से राजनीति में आए हैं.
Patna: जदयू कार्यालय में आज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन, प्रदेश प्रवक्ता हिमराज राम और प्रदेश प्रवक्ता सुनील कुमार सिंह ने संयुक्त तौर पर मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान तीनों प्रवक्ताओं ने भाजपा पर परिवारवाद को प्रश्रय देने के जमकर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दूसरों पर परिवारवाद के आरोप लगाने वाली भाजपा खुद परिवारवाद की सबसे बड़ी पोषक है। बिहार से लेकर केंद्र तक ‘ख़ास परिवारों के चिराग’ आज भाजपा की आंख के तारे बने हुए हैं।
उन्होंने बताया कि बिहार में तो इनके प्रदेश अध्यक्ष ही परिवारवाद से राजनीति में आए हैं. उनके अलावा यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा, पूर्व मंत्री ठाकुर प्रसाद के पुत्र रविशंकर प्रसाद केंद्र सरकार के मंत्री तक बने। इनके अलावा देश के अन्य हिस्सों में देखें तो वेप्रकाश गोयल के पुत्र पीयूष गोयल, प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर, वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र दुष्यंत सिंह, राजमाता विजयाराजे सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह, प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम महाजन, कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह जैसे नेता व नेत्रियां केवल भाजपा की परिवारवादी परंपरा के कारण महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं। वास्तव में ऐसे 100 नाम हैं जो दर्शाते हैं कि भाजपा से बड़ा परिवारवादी दल कोई और नहीं है।
जदयू प्रवक्ताओं ने परिवारवाद के मुद्दे पर भाजपा से कई सवाल भी पूछे:
1. उन्होंने पूछा कि क्या भाजपा की निगाह में अपने नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को ऊँचे पदों पर रखना परिवारवाद की श्रेणी में नहीं आता?
2. बीजेपी बताए कि एक ख़ास परिवार से ताल्लुक रखने के अलावा इन नेताओं की योग्यता क्या है?
3. वो बताएं कि केंद्र व राज्य में मंत्री बने उनके नेताओं के बाल-बच्चों का पार्टी के लिए योगदान सामान्य कार्यकर्ताओं से अधिक कैसे है?
4. क्या बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आये आम कार्यकर्ताओं की हकमारी नहीं है?
5. क्या भाजपा मानती है कि उसके सामान्य कार्यकर्ता सिर्फ झंडा ढ़ोने के लिए हैं और नेताओं के बच्चे राज करने के लिए?
इस दौरान पार्टी के तीनों प्रवक्ताओं ने राज्य में कानून और व्यवस्था के मसले पर भी पार्टी के विचार रखे और कहा किआदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में कोई भी अपराधी अपराध कर बच नहीं सकता। आंकड़ों का उल्लेख करते हुए तीनों प्रवक्ताओं ने कहा कि जब से राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी है तब से राज्य में अपराध की घटनाओं में कमी ही आयी है ना कि बढ़ोतरी हुई है। तीनों प्रवक्ताओं ने अररिया में पत्रकार की हत्या की घटना का खास जिक्र किया और कहा कि हत्या का मुकदमा दर्ज किए जाने के महज 24 घंटों के अंदर ही पुलिस ने जिस मुस्तैदी के साथ पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया है वो राज्य में चुस्त कानून व्यवस्था को दर्शाता है।
तीनों प्रवक्ताओं ने कहा कि इसी तरह समस्तीपुर में दारोगा हत्याकांड में पुलिस लगातर संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है और बहुत जल्द ही इस मामले का भी खुलासा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मीडिया जितनी प्रमुखता से अपराध की खबरों को दिखाता है उतनी ही प्रमुखता से अपराधियों की गिरफ्तारी की खबरें भी दिखानी चाहिए। अररिया जिले में अपराध के आंकड़ों को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि जब से राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी है तब से जिले में संज्ञेय अपराध की श्रेणी में करीब 18 फीसदी की कमी आयी है। वहीं हत्या के मामलों में 42 प्रतिशत, डकैती में 7 फीसदी, चोरी में 25 फीसदी ,दंगों में 40 फीसदी और अपहरण में करीब 26 फीसदी की कमी आयी है। वहीं समस्तीपुर जिले में अपराधिक घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार के बनने के बाद हत्या के मामलों में करीब 32 फीसदी, डकैती में 30 फीसदी, चोरी में 17 फीसदी, दंगों में 79 फीसदी और अपहरण के मामलों में 10 फीसदी की कमी आयी है।
पार्टी के तीनों प्रवक्ताओं ने विपक्षी बीजेपी पर कानून और व्यवस्था को लेकर झूठी बातें फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि खुद के फायदे के लिए बीजेपी राज्य सरकार पर गलत आरोप लगा रही है । उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि किस तरह राज्य में बीजेपी के साथ शासन के दौरान अपराध का ग्राफ बढ़ा था। बीजेपी को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पर आरोप लगाने की बजाए बीजेपी को पहले देश में अपने सरकारों द्वारा शासित राज्यों का भी हाल जानना चाहिए जहां आपराधिक घटनाओं की तादाद पूरे देश के राज्यों से ज्यादा है।