कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि नीतीश सरकार बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन कर रही है।
कैमूर: बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ (कॉफ्फेड) के नेतृत्व मछुआरा समितियों के लगभग 500 सदस्यों ने दुर्गावती जलाशय की पूजा कर नीतीश सरकार के नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया। कॉफ्फेड ने नीतीश सरकार को आगाह किया है कि मछुआरों के हितों से खिलवाड़ न करें। वे सरकारी नियमों को ताक पर रखकर राज्य के जलाशयों की खुली डाक से बंदोबस्ती करना बंद करें। सरकार के फैसले में माफियाओं को संरक्षण देने की मंशा साफ झलक रही है। सरकार यह कैसा रोजगार सृजन कर रही है कि मछुआरों से परंपारिक रोजगार छिनने का मन बना लिया है।
कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि सरकार एक साल में 10 लाख लोगों को रोजगार देने की बात करती है दूसरी ओर जल माफियाओं के हितों के लिए काम कर रही है। पूरे बिहार में जल सत्याग्रह आंदोलन करेगा। सरकार जल्द से जल्द स्थानीय दुर्गावती एवं जगदहवा (कोहिरा) जलाशयों सहित प्रदेश के अन्य जलाशयों की नीलामी बंद कर मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के साथ बंदोबस्त करें।
कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि नीतीश सरकार बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन कर रही है। बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम के अनुसार सभी जलाशयों को प्रखण्ड स्तरीय मछुआ समितियों के साथ बन्दोबस्त करने का प्रावधान है, लेकिन पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग जलाशयों, तालाबों एवं सदाबहार नदियों की बन्दोबस्ती खुली डाक से कर रहा है जो नियमों का घोर उल्लंघन है। कैमुर के दुर्गावती नदी में वर्ष 1990 से सरकार ने मछुआरों को मछली मारने की छुट दी गई थी पर जलाशय बन जाने के बाद सरकार की नियत बदल गई। इसका सीधा प्रभाव मछुआरों पर पड़ रहा है। उससे राज्य के गरीब मछुआ (निषाद जाति) लोग भुखमरी के शिकार हो रहे है। बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 में राजग की सरकार में मछुआरों की जीविका को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था लेकिन राज्य सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा प्रदेश के गरीब मछुआ समाज को भुगतना पड़ रहा है। यह गरीब मछुआरों की जीविका पर आघात है।
कश्यप ने कहा कि मछुआरा समाज को राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक नहीं समझे सभी पार्टियो को दलगत राजनीतिक से उपर उठकर मछुआरा समाज का साथ देना चाहिए।