पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को केंद्रीय कारागार मदुरै से नहीं ले जाया जाए।’’
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार को जेल में बंद यूट्यूबर मनीष कश्यप की संशोधित याचिका पर जवाब देने के लिए समय दिया, जिसके खिलाफ राज्य में प्रवासी मजदूरों के फर्जी वीडियो प्रसारित करने के लिए कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) को लागू किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील अमित आनंद तिवारी के अनुरोध पर संज्ञान लिया कि बिहार निवासी कश्यप द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने के लिए समय दिया जाए, जो वर्तमान में मदुरै केंद्रीय कारागार में बंद है।
कश्यप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पश्चिम बंगाल में उसके खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने और न्याय के हित में बिहार में उनके स्थानांतरण का अनुरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत में याचिका के लंबित रहने के दौरान तमिलनाडु सरकार ने कश्यप के खिलाफ रासुका लागू किया और इसके कारण उन्हें याचिका में संशोधन करना पड़ा। कश्यप एक महीने से अधिक समय से जेल में है।
पीठ ने तिवारी को संशोधित याचिका पर नए सिरे से जवाब दाखिल करने का मौका दिया और मामले की सुनवाई के लिए आठ मई की तारीख तय की। शीर्ष अदालत ने 21 अप्रैल को राज्य सरकार को कश्यप को मदुरै केंद्रीय कारागार से स्थानांतरित नहीं करने का निर्देश दिया था। उच्चतम न्यायालय ने कश्यप की रासुका के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर तमिलनाडु और बिहार सरकारों को नोटिस जारी किया था।
पीठ ने कहा था, ‘‘अनुच्छेद 32 के तहत मांगी गई राहत के अलावा, याचिकाकर्ता रासुका के तहत हिरासत के आदेश को चुनौती देना चाहता है। याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने की अनुमति है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को केंद्रीय कारागार मदुरै से नहीं ले जाया जाए।’’ इसके बाद मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
यूट्यूब पर चैनल संचालित करने वाले कश्यप के खिलाफ तमिलनाडु में छह और बिहार में तीन प्राथमिकी दर्ज हैं। शीर्ष अदालत ने 11 अप्रैल को कश्यप की उस याचिका पर केंद्र, तमिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसमें उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया था।
कश्यप को पांच अप्रैल को मदुरै जिला अदालत में पेश किया गया था, जिसने आदेश दिया कि उसे 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए। इसके बाद उसे मदुरै केंद्रीय जेल भेज दिया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों के खिलाफ कथित हिंसा का मुद्दा मीडिया में उठा था और याचिकाकर्ता एक मार्च से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो बनाकर और ट्विटर पर ट्वीट कर इसके खिलाफ आवाज उठा रहा था।.