आनंद मोहन से मेरा पारिवारिक संबंध है : नीतीश कुमार

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आनंद मोहन से मेरा पारिवारिक संबंध है : नीतीश कुमार
Published : Oct 28, 2023, 11:30 am IST
Updated : Oct 28, 2023, 11:30 am IST
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 Nitish Kumar, bihar cm (file photo)
Nitish Kumar, bihar cm (file photo)

पूर्व सांसद आनंद मोहन जी और उनकी पत्नी पूर्व सांसद श्रीमती लवली आनंद जी ने मुझे इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था।

पटना, (संवाददाता): मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार  ने आज सहरसा जिले के पंचगछिया ग्राम के भगवती प्रांगण में 'कोसी का गांधी' स्वातंत्र्यवीर स्व. रामबहादुर सिंह और उनके ज्येष्ठ पुत्र प्रखर स्वतंत्रता सेनानी स्व. पद्मानंद सिंह 'ब्रह्मचारी' जी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा अनावरण के पश्चात् मुख्यमंत्री ने स्व. रामबहादुर सिंह एवं स्व. पद्मानंद सिंह 'ब्रह्मचारी जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. रामबहादुर सिंह एवं स्व. पद्मानंद सिंह ब्रह्मचारी जी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में आने का मौका मिला है। आप सबने मुझे आमंत्रित किया इसके लिए आप सभी का मैं अभिनंदन करता हूं और स्व. रामबहादुर सिंह एवं स्व.पद्मानंद सिंह ब्रह्मचारी जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। स्व. रामबहादुर सिंह पूर्व सांसद  आनंद मोहन जी के दादाजी थे और स्व. पद्मानंद सिंह ब्रह्माचारी जी इनके चाचाजी थे।

पूर्व सांसद आनंद मोहन जी और उनकी पत्नी पूर्व सांसद श्रीमती लवली आनंद जी ने मुझे इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था। इनलोगों से मेरा पुराना पारिवारिक संबंध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रामबहादुर बाबू का जन्म 1901 ई0 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1950 ई0 में हो गई थी। रामबहादुर बाबू स्वामी सहजानंद सरस्वती जी के संपर्क में 1919 ई में आए और अंग्रेजों द्वारा लाए गए काले कानून रॉलेट एक्ट का विरोध करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन को सफल बनाने के लिए रामबहादुर बाबू 1920 ई0 में सैकड़ों लोगों के साथ मिलकर कोसी सेवक दल का गठन किया और कोसी क्षेत्र में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया तथा खादी ग्राम उद्योग की शुरुआत की। 1925 ई० में जब गांधीजी बिहार आए थे और पूर्णिया, अररिया, फारबिसगंज आदि जगहों पर गए तो भ्रमण के दौरान रामबहादुर बाबू उनके साथ रहे थे। 1930 ई0 में उन्होंने गांधीजी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी भाग लिया।

रामबहादुर बाबू ने बापू से प्रेरणा लेकर लोगों को नशा से दूर रहने का आहवान किया था। आज आपसब यहां उपस्थित हैं मैं यहां आपलोगों से भी कहना चाहता हूं कि बापू की बातों को याद रखें और लोगों को नशा से दूर रहने के लिए प्रेरित करते रहें। वर्ष 1934 ई में जब बिहार में भूकंप आया था और गांधीजी भूकंप पीड़ितों से मिलने मुंगेर पहुंचे थे तो पंचगछिया ग्राम भी आकर रामबहादुर बाबू से मिले थे क्योंकि इनका घर भी भूकंप में ध्वस्त हो गया था। ऐसी स्थिति में भी रामबहादुर बाबू की धर्मपत्नी कुंती देवी जी ने अपना धन बापू के समक्ष दान में दे दिया था ताकि पीड़ितों की मदद की जा सके। 1942 ई के भारत छोड़ो आंदोलन में भी रामबहादुर बाबू ने सक्रिय भूमिका निभाई थी।मुख्यमंत्री ने कहा कि रामबहादुर बाबू के पुत्र पद्मानंद सिंह ब्रह्माचारी' जी ने भी 1942 ई के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था।

पद्मानंद सिंह जी का जन्म वर्ष 1921 में और मृत्यु वर्ष 2016 में हुई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीति अपनी जगह है, आनंद मोहन जी से मेरा पारिवारिक संबंध है। इनके घर हम पहले भी आते रहे हैं और इनके माताजी - पिताजी से आशीर्वाद लेते रहे हैं। आज प्रतिमा अनावरण के कार्यक्रम के अवसर पर आकर मुझे खुशी हो रही है। कुछ लोग देश के इतिहास को बदलना चाहते हैं लेकिन हम सबको सचेत रहना है। सभी लोग नयी पीढ़ी को इतिहास के बारे में बताते रहिए और उन्हें महापुरुषों के कार्यों एवं उनके योगदान के बारे में प्रेरित करते रहें। हम आपलोगों की सेवा करते रहेंगे।

Location: India, Bihar, Patna

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