प्रशांत किशोर ने कहा, "बिहार में समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के चक्कर में शिक्षा का बेड़ागर्क कर दिया है।
रक्सौल , (संवाददाता) : जन सुराज पदयात्रा के 60वें दिन प्रशांत किशोर पूर्वी चंपारण के रक्सौल, नोनियाडीह में मीडिया से बात की। प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा आज रक्सौल के नोनियाडीह से चलकर महादेवा, सिरसियामाल, नकरदेई, बसतपुर भकूरइया, हरपुर, नेकपुर टोला, रामपुर, सिरिसियाकला, शेखवाटोला, औरैया, श्यामपुर, बेलवा, भवनरी, भेडिहारी स्तिथ भवनरी मैदान में जनसुराज पदयात्रा रात्रि विश्राम के लिए आदापुर के भेडीहारी पहुंचेगी।
प्रशांत किशोर ने पदयात्रा शुरू होने से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के माध्यम से बताया कि अबतक पदयात्रा के माध्यम से वे लगभग 650 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इसमें 500 किमी से अधिक पश्चिम चंपारण में पदयात्रा हुई और पूर्वी चंपारण में अबतक सवा 100 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इस दौरान जमीन पर हुए अनुभवों और समस्यायों पर बात करते हुए उन्होंने शिक्षा, कृषि, स्वास्थ जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी।
बिहार के कृषि और किसानों की बदहाल स्थिति पर चर्चा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की हैं। कुछ राज्यों के आंकड़ों की तुलना करते हुए उन्होंने बताया कि केरल में मजदूरों को ₹700 प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है और बिहार में ₹200। साथ ही पंजाब के मुकाबले बिहार के किसानों की कमाई 1/6 है। अगर बिहार सरकार किसानो की फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीद लिया जाए तो यहां के किसानों को हर साल 25 से 30 हजार करोड़ का मुनाफा होगा। उन्होंने बताया बताया कि इस वक्त बिहार के किसानों के हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिहार में केवल 1% गेंहू और 13% धान समर्थन मूल्य पर बिक रहा है। पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण में बेतिया राज की जमीन पर लाखों लोगों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल रहा है। बिहार में करीब 57% लोग भूमिहीन है।
बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "बिहार में समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के चक्कर में शिक्षा का बेड़ागर्क कर दिया है। शिक्षा के लिए जरूरी बिल्डिंग, शिक्षक और विद्यार्थियों का समायोजन नहीं है। स्कूल केवल खिचड़ी बांटने का सेंटर है। शैक्षणिक माहौल जो स्कूलों में होना चाहिए वो नहीं है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए उदाहरण के तौर पर एक बात जो हमलोगों के सामने आई, वो है कि हर प्रखंड में एक 'सेंटर ऑफ एक्सेलेंस' हो, जहां नेतरहाट जैसी शिक्षा व्यवस्था हो। ऐसे 500 विद्यालय हर साल खोले जाएं। शिक्षा का जो बजट है उसका एक हिस्सा इस काम में खर्च होना चाहिए। इस तरह में अगले 5 साल में बिहार में 2500 से 3000 ऐसे स्कूल हो जाएंगे। हर व्यक्ति के घर के 10 किमी के भीतर एक ऐसा स्कूल होगा जहां विश्वस्तरीय पढ़ाई होगी।
प्रशांत किशोर ने जन सुराज की सोच के माध्यम से विकसित बिहार को लेकर अपनी प्राथमिकताओं को साझा करते हुए बताया कि उनका प्रयास है कि देश के 10 अग्रणी राज्यों में बिहार शामिल हो। विकास के ज्यादातर मानकों पर अभी बिहार 27वें या 28वें स्थान पर है। 50 के दशक में बिहार की गिनती देश के अग्रणी राज्यों में होती थी।
उन्होंने आगे कहा कि पदयात्रा के बिहार के हर पंचायत, गांव और नगर क्षेत्र के स्तर पर समस्याओं और समाधान का एक ब्लूप्रिंट बनाया जा रहा है, पदयात्रा खत्म होने के 3 महीने के भीतर हम इसे जारी करेंगे। साढ़े 8 हजार ग्राम पंचायत और 2 हजार नगर पंचायत की विकास की योजनाओं का खाका हम तैयार कर रहे हैं। हर पंचायत की समस्याओं को हम संकलित कर रहे हैं, हमारा उद्देश्य है कि आने वाले 10 से 15 सालों में बिहार विकास के तमाम मापदंडों पर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो।