Punjab-Haryana HC: वैवाहिक विवाद मामलों में निरस्तीकरण रिपोर्ट पर न्यायालयों को सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए

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Punjab-Haryana HC: वैवाहिक विवाद मामलों में निरस्तीकरण रिपोर्ट पर न्यायालयों को सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए
Published : Sep 5, 2024, 5:51 pm IST
Updated : Sep 5, 2024, 5:51 pm IST
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Courts should adopt a sympathetic approach on annulment reports in matrimonial dispute cases Punjab and Haryana HC
Courts should adopt a sympathetic approach on annulment reports in matrimonial dispute cases Punjab and Haryana HC

हाई कोर्ट ने यह  टिप्पणियां शिकायतकर्ता के पति और ससुर पर दर्ज  एफआइआर को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं। 

Punjab and Haryana High Court: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक विवाद  से संबंधित मामलों में निरस्तीकरण रिपोर्ट से निपटने के लिए न्यायालयों को सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, खासकर तब जब शिकायतकर्ता स्वयं  उसे स्वीकार  कर ले।इस मामले में  पत्नी द्वारा अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ क्रूरता का आरोप की एक एफआइआर में ट्रायल कोर्ट ने  पुलिस द्वारा  दायर  निरस्तीकरण रिपोर्ट  को अस्वीकार कर  आगे की जांच का निर्देश दिया था ।

जस्टिस सुमित गोयल ने कहा, " इस तरह के मामले में दायर निरस्तीकरण रिपोर्ट से निपटते समय न्यायालय को  खासकर शिकायतकर्ता द्वारा स्वयं ऐसे निरस्तीकरण को स्वीकार करने की पृष्ठभूमि में, सहानुभूतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ना चाहिए, न कि पांडित्यपूर्ण दृष्टिकोण से।

कोर्ट ने कहा कि  कानून का यह स्थापित प्रस्ताव है कि आधुनिक समाज में समझौता सद्भाव और व्यवस्थित व्यवहार की अनिवार्य शर्त है। जज  ने कहा कि यह न्याय की आत्मा है और यदि कोर्ट  की प्रक्रिया का उपयोग इस तरह के सौहार्दपूर्ण माहौल को आगे बढ़ाने में किया जाता है तो यह निश्चित रूप से पक्षों के बीच सौहार्द को बढ़ावा देगा और एक व्यवस्थित और शांत समाज का निर्माण करेगा।

हाई कोर्ट ने यह  टिप्पणियां शिकायतकर्ता के पति और ससुर पर दर्ज  एफआइआर को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं। 

यह आरोप लगाया गया था कि शिकायतकर्ता को उसके ससुराल वालों द्वारा दहेज की विभिन्न मांगों के लिए परेशान किया गया था।
जांच के बाद, पुलिस ने पाया कि पति और ससुर के तहत कोई अपराध नहीं बनता है, और उनके खिलाफ गलत तरीके से एफआईआर दर्ज की गई थी। तदनुसार, पुलिस द्वारा  न्यायिक मजिस्ट्रेट   के सामने  में एक निरस्तीकरण  रिपोर्ट दायर की गई थी।
हालांकि, पुलिस द्वारा दाखिल की गई निरस्तीकरण रिपोर्ट को न्यायिक मजिस्ट्रेट  ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जांच के दौरान, रिपोर्ट के अनुसार, मामले में पक्षों के बीच समझौता हो गया था, जिसके आधार पर निरस्तीकरण रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।  कानून के अनुसार यह  मामला  गैर-समझौता योग्य अपराध है। तदनुसार, मेरे विचार में समझौते के आधार पर निरस्तीकरण को स्वीकार नहीं किया जा सकता।इसके खिलाफ शिकायतकर्ता के पति और ससुर ने हाई कोर्ट में एफआइआर रद्द करने की गुहार लगाई। 

हाई कोर्ट ने सभी तथ्याें को देखने के बाद पाया कि स्पष्ट है कि एफआइआर दोनो पक्षों के बीच वैवाहिक कलह का परिणाम थी।अदालत ने कहा, "पूरी एफआइआर में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दहेज की मांग या मांग के संबंध में शिकायतकर्ता के साथ किसी भी तरह की क्रूरता करने का कोई भी आरोप नहीं है। परिणामस्वरूप धारा 482 के तहत इस न्यायालय द्वारा अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए एफआईआर को रद्द करने के लिए उपयुक्त मामला है।

जस्टिस गोयल ने  कहा कि  मजिस्ट्रेट, पायल   ने  रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हुए ऐसा कोई उदाहरण नहीं बताया, जो  गंभीर  हो, जो आरोपित  को दंडनीय अपराध किए जाने की ओर इशारा करता हो।कोर्ट ने कहा कि उसने निरस्तीकरण रिपोर्ट को स्वयं  शिकायतकर्ता द्वारा  स्वीकार  किया गया है, इससे साफ पता चलता है कि  न्यायिक मजिस्ट्रेट, पायल द्वारा मामले  गलती की गई है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने  एफआईआर को रद्द कर दिया।


(For more news apart from Courts should adopt a sympathetic approach on annulment reports in matrimonial dispute cases Punjab and Haryana HC, stay tuned to Rozana Spokesman)


 

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