पंचकूला के सकेतड़ी महादेव मंदिर में भगवान के दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते है।
Panchkula Mahashivratri news in hindi: आज महाशिवरात्रि है और हर साल की तरह इस बार भी पंचकूला के सकेतड़ी स्थित ऐतिहासिक भगवान शिव मंदिर में करीब 6 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। वहीं इस दौरान महाशिवरात्रि को लेकर सकेतड़ी महादेव मंदिर में खास इंतजामात किए गए है। साथ ही इस दौरान दिल्ली से आए डेकोरेटर्स ने पूरे मंदिर को फूलों से सजाया है और लाइटिंग भी की गई है। बता दें शिव मंदिर वीरवार रात 11 बजे से ही श्रद्धालुओं के खोल दिया गया है। रातभर श्रद्धालुओं ने यहां दर्शन किए। मंदिर के कपाट खुलने पर डेढ़ किमी तक की लंबी लाइन लगी रही। शुक्रवार को भी पूरा दिन ऐसी ही लंबी कतारें महादेव के दर्शन को लगेंगी।
पुलिस और प्रशासन के पुख्ता इंतजाम
बता दें कि हर साल महाशिवरात्रि पर पंचकूला के सकेतड़ी महादेव मंदिर में भगवान के दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते है। ऐसे में पुलिस और प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इसके चलते भीड़ जमा न हो इसको लेकर भी पुलिस प्रशासन की और से भी इंतजाम पूरे किए गए हैं। वहीं सभी को आराम से दर्शन करवाए जाएंगे। प्रशासन और पुलिस के बड़े अधिकारी खुद यहां मौजूद रहेंगे।
श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में खास व्यवस्था
मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 250 क्विंटल दूध, डेढ़ से दो ट्रक फ्रूट, 2.5 लाख केलों का प्रसाद दिया जाएगा। महादेव का अति प्रिय फल बेर है, इसलिए उन्हें बेर चढ़ाया जाता है। मंदिर में भी 80 बोरी बेर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिए जाएंगे। वहीं सुबह साढ़े तीन-चार बजे से जलाभिषेक शुरू हो जाएगा। इस दौरान महायज्ञ भी किया जाएगा।
क्या हैं भोले बाबा के इस मंदिर की मान्यता
बता दें कि इस ऐतिहासिक भगवान शिव मंदिर को लेकर कई मान्यताएं है,. माना जाता हैं कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे, पांडवों ने भी की उनकी पूजा की थी... वहीं 500 साल पुराना यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में दो शिवलिंग हैं। खासियत यह है कि एक शिवलिंग पंचकूला में और दूसरा चंडीगढ़ में है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे और पांडवों ने यहां पूजा-अर्चना की थी। शिवरात्रि के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता हैं। भगवान शिव के इस शुभ दिन पर ट्राइसिटी के अलावा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर में आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर पहाड़ों के नीचे दब गया था। फिर पहाड़ों को खोदकर इस मंदिर को करीब 70 साल पहले यानी चंडीगढ़ बनने से पहले निकाला गया।
(For more news apart from Mahashivratri celebrated in Panchkula Saketri, lakhs of devotees will visit News In Hindi, stay tuned to Rozana Spokesman)