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उन्होंने आगे कहा कि यह पहल भारतीय वायुसेना की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में मदद करेगी..
चंडीगढ़: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को यहां अपनी तरह के पहले वायुसेना विरासत केंद्र का उद्घाटन किया रक्षा मंत्री ने कहा कि यह बल में सेवा करने वाले सभी लोगों के साहस और समर्पण का प्रमाण है और राष्ट्र की रक्षा में उनके अमूल्य योगदान की याद दिलाता है।
उन्होंने आगे कहा कि यह पहल भारतीय वायुसेना की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में मदद करेगी और युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी।
केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ और भारतीय वायु सेना ने पिछले साल एक सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये थे जिसके तहत यह केंद्र स्थापित किया गया है।
उद्घाटन समारोह में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर उपस्थित थीं। इस मौके पर रक्षामंत्री सिंह केंद्र में प्रदर्शन के लिए रखे मिग-21 विमान में बैठे। वह फ्लाइंग सिमुलेटर में भी बैठे।.
अधिकारियों ने कहा कि यह विरासत केंद्र 17,000 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। अधिकारियों ने कहा कि यह विरासत केंद्र भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा और भारतीय वायुसेना की अदम्य भावना को प्रदर्शित करेगा।
सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘यह केंद्र उन सभी लोगों के साहस और समर्पण का प्रमाण है, जिन्होंने भारतीय वायुसेना में सेवा दी है और यह राष्ट्र की रक्षा में उनके अमूल्य योगदान की याद दिलाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पहला ऐसा केंद्र है जो 1965, 1971 के युद्धों और करगिल युद्ध तथा बालाकोट हवाई हमले सहित विभिन्न युद्धों में निभाई गई वायुसेना की भूमिका को भित्तिचित्रों और स्मृति चिह्नों के जरिये बयां करता है। यह केंद्र न केवल चंडीगढ़ के लोगों के लिए बल्कि अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण होगा।’’
सिंह ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि यह अद्भुत पहल भारतीय वायुसेना की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में मदद करेगी और युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी। मंत्री ने ‘सेंटर फॉर साइबर ऑपरेशन एंड सिक्योरिटी’ (सीईएनसीओपीएस) के लिए एक पट्टिका का भी अनावरण किया।.
बाद में एयर चीफ मार्शल चौधरी ने पत्रकारों से बात करते हुए हेरिटेज सेंटर के उद्घाटन पर कहा, "यह हमारे लिए गर्व का क्षण है।"
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि एक बार यहां आने के बाद यह बहुत सारे युवाओं को भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए आकर्षित करेगा।" विभिन्न वर्गों में विभाजित, विरासत केंद्र में कई आकर्षण हैं जैसे कि विमान के मॉडल, एयरो इंजन और हथियार।.
केंद्र में फ्लाइंग सिमुलेटर भी हैं जो आगंतुकों को उड़ान का अनुभव प्रदान करेंगे। विरासत केंद्र के आकर्षणों में पांच पुराने विमान और एसएएम-तीन पिकोरा मिसाइल भी शामिल हैं।
केंद्र में एक हिंदुस्तान पिस्टन ट्रेनर-32 प्राथमिक उड़ान प्रशिक्षण विमान प्रदर्शित किया गया है। भारतीय वायुसेना में इसके संचालन की अवधि 1977 से 2009 तक थी। एक मिग 21 एकल सीट लड़ाकू विमान को भी प्रदर्शित किया गया है।
इसके अलावा एयर वाइस मार्शल हरजिंदर सिंह द्वारा 1958 में बनाए गए एयरफोर्स कानपुर 1 को प्रदर्शित किया गया है। एक जीएनएटी विमान (सेब्रे स्लेयर) 1971 भी यहां प्रदर्शित है। केंद्र में एक विशेष खंड भी है जो भारतीय वायुसेना में महिला अधिकारियों को राष्ट्र की सेवा में उनके योगदान के लिए समर्पित है।
केंद्र में नेत्र विमान, प्रचंड हेलीकॉप्टर, एमआई-26, मिग 29, स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान, सी-130 जे हरक्यूलिस, एमकेआई एरियल रिफ्यूलर, सुखोई एसयू-30 एमकेआई, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर-ध्रुव और एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली वर्कस्टेशन के छोटे मॉडल भी हैं। यह केंद्र भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास को भित्तिचित्रों की मदद से प्रदर्शित करता है, जो 1948 के भारत-पाक युद्ध में बल की भूमिका से शुरू होकर इसके विभिन्न युद्ध अभियानों को दर्शाते हैं। एक दृश्यश्रव्य दीर्घा भारतीय वायुसेना की यात्रा को प्रदर्शित करेगी।