अदालत वित्तीय विवाद से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी में एक व्यक्ति के धर्म का उल्लेख किए जाने को गंभीरता से लेते हुए हरियाणा के पुलिस प्रमुख को 18 सितंबर तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इसने कहा कि हलफनामे में बताया जाए कि इस संबंध में क्या सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। अदालत वित्तीय विवाद से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
न्यायमूर्ति जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा कि इसी तरह का एक मुद्दा पंजाब से सामने आया था और बाद में, राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने प्राथमिकी में किसी व्यक्ति के धर्म का उल्लेख करने के खिलाफ पुलिस बल को निर्देश जारी किए थे।
हरियाणा पुलिस की प्राथमिकी में इस्तेमाल की गई भाषा पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति पुरी ने कहा, ‘‘प्राथमिकी में एक व्यक्ति के धर्म का जिक्र किया गया है। यह एक गंभीर मुद्दा है। इसी तरह का एक मुद्दा पंजाब राज्य में सामने आया था, जहां एक व्यक्ति के धर्म का उल्लेख किया गया था।’’ अदालत ने हाल में दिए अपने आदेश में कहा, ‘‘इससे पहले इस अदालत ने प्राथमिकी या किसी पुलिस कार्रवाई में किसी व्यक्ति की जाति का उल्लेख करने के संबंध में संज्ञान लिया था।’’
इसने आदेश में कहा, ‘‘लेकिन जहां तक किसी व्यक्ति के धर्म का उल्लेख करने का सवाल है, तो पंजाब राज्य से संबंधित मामला इस अदालत के समक्ष आया था...जिसमें सहायक पुलिस महानिरीक्षक, जांच ब्यूरो, पंजाब द्वारा सात मार्च, 2022 को एक हलफनामा दायर किया गया था कि अब से किसी व्यक्ति के धर्म का उल्लेख नहीं किया जाएगा।’’
इसमें कहा गया कि इसके बाद, पंजाब के पुलिस महानिदेशक ने सुधारात्मक कदम उठाने के संबंध में 19 सितंबर, 2022 को एक हलफनामा दायर किया था। न्यायमूर्ति पुरी ने हरियाणा के डीजीपी को 18 सितंबर तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि इसमें बताया जाए कि इस मामले में राज्य द्वारा विशेष रूप से पंजाब की तर्ज पर क्या सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।