पंचकूला के बच्चे की मां ने याचिका में बताया कि उसका 13 साल का बेटा डाउन सिंड्रोम का शिकार है।
Punjab- Haryana High Court News: एक दिव्यांग बच्चे को उसकी मानसिक अवस्था के चलते मौलिक शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। स्कूल और सरकार अपने फर्ज से नहीं भाग सकते। पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट ने यह आदेश एक मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
पंचकूला के बच्चे की मां ने याचिका में बताया कि उसका 13 साल का बेटा डाउन सिंड्रोम का शिकार है। वह पंचकूला के एक निजी स्कूल की स्पेशल विंग में पिछले पांच साल से पढ़ाई कर रहा था। कुछ समय बाद स्कूल ने बाकी बच्चों की सुरक्षा की दलील देते हुए कहा कि वह बच्चे को स्कूल से निकाल लें। हाई कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ को एक तंत्र विकसित कर जानकारी देने का आदेश दिया था। आदेश के बाद भी जवाब दायर न करते हुए कुछ समय देने की मांग की। सुनवाई के दौरान हरियाणा व चंडीगढ़ की तरफ से कहा गया कि स्कूल शिक्षा विभाग इस तरह की घटनाओं को ध्यान में रखकर कदम उठा रहा है। दोनों पक्षों ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा इस बाबत जारी आदेश व योजना पर हलफनामा देने के लिए उनको कुछ समय दिया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अगर अगली सुनवाई तक जवाब दायर नहीं किया तो प्रतिवादी पक्ष परभारी जुर्माना लगाया जाएगा।
कोर्ट ने कहा है कि पहले दिव्यांग छात्रों को आगे बढ़ने में समस्या आती थी, आज का दौर बदल गया है। कानून भी मौजूद है, जो अधिकारों की रक्षा कर सकता है। अदालत ने कहा कि सब कुछ मौजूद होने के बावजूद इसका पूरा लाभ दिव्यांग बच्चों को नहीं मिल पाता क्योंकि जिन्हें इनका पालन करने की जिम्मेदारी दी गई है। उनमें संवेदनाओं की कमी है।
(For More News Apart from Schools- Government, cannot run away from duty of education by blaming child- Punjab- Haryana High Court's, Stay Tuned To Rozana Spokesman)