राज्यसभा सदस्य संत सीचेवाल ने कहा कि विरोध करना विपक्षी दल का संवैधानिक अधिकार है।
Seechewal News: राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने हंगामों की भेंट चढ़े संसद के शीतकालीन सत्र पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान देश के लोगों के किसी भी सार्थक मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इस सत्र के दौरान जनता के असल मुद्दों से कोसों दूर राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक-दूसरे को नीचा दिखाने में अपना सारा समय बर्बाद कर दिया है।
राज्यसभा सदस्य संत सीचेवाल ने कहा कि विरोध करना विपक्षी दल का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन विरोध को इस हद तक नहीं ले जाना चाहिए कि संसद सदस्य को शून्यकाल के माध्यम से मिलने वाला समय खराब किया जाए। क्योंकि ये एक मौका है जिसमें सभी दलों के नेता अपने मुद्दे सदन में रख सकते हैं। संत सीचेवाल ने कहा कि उनकी खेती-किसानी से जुड़े चार बार के मुद्दे पर तीन बार विदेशों में लड़कियों की मानव तस्करी के मामले फसये जाने के शुन्य काल हंगामों की भेंट चढ़ गये। उन्होंने कहा कि 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक संसद के चल रहे सत्र के दौरान उन्हें केवल एक बार बोलने का मौका दिया गया। जिस दौरान उन्होंने स्पेशल मैंशन के जरिए देश में तेजी से फैल रहे कैंसर को रोकने और प्रभावित मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने की ज़ोरदार अपील की। उन्होंने कहा कि इन हंगामों के कारण बेरोजगारी, भुखमरी, पर्यावरण, शिक्षा समेत कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकी।
उन्होंने मीडिया में छपी खबरों का हवाला देते हुए कहा कि राज्यसभा का 60 फीसदी और लोकसभा का 42 फीसदी समय इन हुनागमों की भेंट चढ़ गया। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ समय की बर्बादी है बल्कि करोड़ों रुपये की भी बर्बादी है। जिसे जनता कर के रूप में चुकाती है। उन्होंने कहा कि संसद के प्रति इसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए, क्योंकि एक सांसद जनता के प्रति जवाबदेह होता है। उन्हें उम्मीद है कि संसद में उनके मुद्दों को गंभीरता से लिया जाएगा लेकिन सदन नहीं चलने के कारण ये मुद्दे जस के तस बने हुए हैं।
बॉक्स आइटम: किसान नेता डल्लेवाल की जान बचाने के लिए संत सीचेवाल ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
किसानों की मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता की जान बचाने के लिए राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से लिखा है कि किसान नेता डल्लेवाल का जीवन पूरे भारत के किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जिन मांगों को लेकर वे आमरण अनशन पर हैं, उन्हें केंद्र सरकार ने मान लिया है, लेकिन अभी भी उन पर अमल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि आजादी के 75 साल बाद कई क्षेत्रों में प्रगति हुई है, लेकिन किसानों की हालत खराब होती जा रही है। देश के अनाज भंडार को फिर से भरने में उनके महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, किसान अभी भी अपर्याप्त वित्तीय सहायता से जूझ रहे हैं। जिन्हें अब तक उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल सका है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उद्योग और बड़े कॉरपोरेट घरानों का 16 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिया है। जो शायद किसी कुछ बड़े लोगों के थे। लेकिन 80 करोड़ छोटे किसानों का 10 से 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ नहीं किया जा रहा है, जिसे माफ किया जाना चाहिए। क्योंकि देश का किसान खेतों में काम करेगा तो देश का पेट भर सकता है।
(For more news apart from 60% Rajya Sabha time was wasted in Parliament session- Sant Seechewal, stay tuned to Spokesman Hindi)