नोटिस जारी कर 30 अगस्त तक जवाब देने का आदेश दिया है।
Chandigarh News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने न्यायिक परिसरों में दिव्यांगों के लिए उचित व्यवस्था न होने पर मामले का संज्ञान लेते हुए हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ व हाईकोर्ट को रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर 30 अगस्त तक जवाब देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में संबंधित बार एसोसिएशन को प्रतिवादी बनाने की मांग स्वीकार कर ली है। हाई कोर्ट की एकल बेंच ने मलेरकोटला की महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठाया था और इस मामले का संज्ञान लेते हुए इस पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई आरंभ हुई है।
याचिका दाखिल करते हुए अमरीक कौर ने मलेरकोटला की निचली अदालत में लंबित अपने मामलों की सुनवाई मलेरकोटला की ही दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की थी। याची ने बताया कि वह 60 वर्षीय वृद्ध विकलांग महिला है जो चलने में असमर्थ है। उसका दाहिना पैर कट गया है जबकि उसका बायां पैर संक्रमित है। उसका केस मलेरकोटला की अदालत में प्रथम तल पर है और वहां पर किसी भी विकलांग व्यक्ति को अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए रैंप या एस्केलेटर का कोई प्रावधान नहीं है। वह भी प्रथम तल पर मौजूद अदालत में केस होने के कारण वहां पहुंच नहीं पा रही है जो केस में शामिल होने के अधिकार को छीन रहा है।
संगरूर के जिला जज ने याची के आवेदन को मेडिकल रिकार्ड संलग्न न करने के चलते खारिज कर दिया था। सिंगल बेंच के आदेश पर बताया गया कि मलेरकोटला में भूतल पर दो, पहली मंजिल पर दो और शीर्ष मंजिल पर एक अदालत कक्ष है। न्यायिक परिसर में रैंप या एस्केलेटर भी मौजूद नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत द्वारा उदासीनता के साथ अपनाए गए मूक-बधिर दृष्टिकोण को माफ नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने इस अब इस मामले को जनहित का मामला मानते हुए सभी प्रतिवादी पक्ष को जवाब देने का आदेश दिया हे।
(For More News Apart from Notice issued to Haryana, Punjab, Chandigarh on lack of proper arrangements in courts for disabled people, Stay Tuned To Rozana Spokesman)