रिपोर्ट के मुताबिक, 2016-17 से 2020-21 तक पांच साल में चंडीगढ़ में करीब 65860 टन प्लास्टिक कचरा पैदा हुआ।
चंडीगढ़: चंडीगढ़ में प्लास्टिक आइटम, कैरी बैग और सिंगल यूज आइटम यूज करने पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद यहां हर साल औसतन 10,000 टन प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा है. पॉलिथीन कैरी बैग पर प्रतिबंध है लेकिन इसकी वितरण व्यवस्था इतनी मजबूत है कि इसे अभी तक खत्म नहीं किया जा सका है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने गुरुवार को राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश की कि देश में कितना प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2016-17 से 2020-21 तक पांच साल में चंडीगढ़ में करीब 65860 टन प्लास्टिक कचरा पैदा हुआ।
जब 2019 में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया था, तो उस वर्ष चंडीगढ़ में प्लास्टिक कचरा भी कम हो गया था, क्योंकि उस समय प्रशासन ने पॉलिथीन कैरी बैग और अन्य सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर सख्ती की थी, लेकिन लगातार कार्रवाई नहीं होने के कारण अगले वर्ष प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होने का औसत फिर से 10 हजार टन प्रति वर्ष से ऊपर पहुंच गया। वर्ष 2020-2021 में प्रतिदिन औसतन 35 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।
सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर चंडीगढ़ अथॉरिटी कभी सख्ती बरतती है तो कभी पूरी छूट दे देती है। यही कारण है कि न केवल पॉलिथीन कैरी बैग बल्कि अन्य सिंगल यूज प्लास्टिक का भी हर जगह इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए अब प्रशासन ऑनलाइन चालान तैयार करने में जुटा है. इसके लिए चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सीपीसीसी) एक ऐसा मॉड्यूल लाने की तैयारी कर रही है, जिसका इस्तेमाल वाहनों के चालान काटने के लिए किया जाएगा। इससे चालान कटने के वक्त भी वॉयलेटर्स पेमेंट कर पाएंगे। दरअसल मैनुअली चालान काटने के बाद कई लोग चालान जमा ही नहीं करवाते हैं जिसके चलते अब ये तैयारी है।