‘जश्न-ए-रेख्ता’ के 7वें संस्करण का उद्घाटन रेख्ता फाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ और शायर-गीतकार जावेद अख्तर ने मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया।
New Delhi : तीन साल के अंतराल के बाद शुक्रवार को यहां उर्दू और गंगा जमुनी तहजीब के महोत्सव ‘जश्न-ए-रेख्ता’ की शुरुआत हुई, जिसमें कवियों, लेखकों और कलाकारों की शानदार प्रस्तुति हुई।
‘जश्न-ए-रेख्ता’ के 7वें संस्करण का उद्घाटन रेख्ता फाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ और शायर-गीतकार जावेद अख्तर ने यहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया। उद्घाटन सत्र में अख्तर ने कहा कि महोत्सव में शामिल होने वाले सभी लोग उर्दू साहित्य की सुंदरता और सांस्कृतिक एकता के प्रमाण हैं।
लोकप्रिय शायर ने कहा कि उर्दू विशुद्ध रूप से हिंदुस्तानी भाषा है और यह भारत, इसके लोगों और कभी भारतीय रहे पाकिस्तानी लोगों, के अलावा कहीं और नहीं बोली जाती है। अख्तर ने कहा, ‘‘यह इस देश की भाषा है। इसलिए यह सोचना गलत है कि यह कहीं और से आयी है।’’.
अख्तर ने कहा कि उर्दू आम लोगों की भाषा होने की वजह से बगैर किसी संरक्षण के अब तक बची हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप किसी के साथ संवाद करना चाहते हैं, तो आपको दूसरे व्यक्ति को समझाने के लिए अन्य भाषाओं के शब्द लेने होंगे। मैं पूरी तरह से शुद्ध भाषा के विचार के खिलाफ हूं। हिन्दी के रूप में उर्दू की एक जुड़वा बहन है। जब दोनों भाषाओं को जोड़ दिया जाता है, तो उनकी शब्दावली काफी विशाल हो जाती है।’’
तीन दिन के इस महोत्सव में 150 से अधिक कलाकार हिस्सा लेंगे। इस दौरान गजल, सूफी संगीत, कव्वाली, दास्तानगोई, सामूहिक चर्चा, मुशायरा और कविता पाठ होंगे। सराफ ने उर्दू की नामचीन शख्सियतों गुलजार देहलवी, शम्सुर रहमान फारुकी और गोपीचंद नारंग को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने कोविड-19 से अपनी जान गंवाई और कहा कि मुश्किल समय का सामना करने के बावजूद लोगों ने चुनौती स्वीकार की तथा ‘‘बड़ी एकजुटता और ताकत’’ दिखाई।
सराफ ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के कारण सामान्य जीवन में कई बाधाएं आईं, जिसके कारण महोत्सव भी दिसंबर 2019 के बाद नहीं हो सका। हालांकि, लोगों ने कठिन परिस्थिति को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया तथा बड़ी एकजुटता और ताकत दिखाई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को भारतीय संस्कृति और एकता के इस उत्सव में शामिल होने और इसे अविस्मरणीय अनुभव बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं।’’ सराफ ने कहा कि महोत्सव का उद्देश्य ‘‘उर्दू भाषा, संगीत, कला, संस्कृति और इसकी भारतीय जड़ों के माध्यम से विभिन्न वर्गों के लोगों को एकजुट करना’’ है। कविता और साहित्यिक उत्सव के विभिन्न सत्र में नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, शैलेश लोढ़ा, दीया मिर्जा, नजीब जंग, मुजफ्फर अली, अनीसुर रहमान समेत अन्य नामचीन हस्तियां हिस्सा लेंगी।