मुरसलीन का शव जौहरीपुर तिराहा के पास एक नाले में तैरता हुआ पाया गया था।
New Delhi: अदालत ने 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में हुए दंगों के उस आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी जिसके पास से दंगों के दौरान कथित तौर पर मारे गए एक व्यक्ति का मोबाइल फोन बरामद किया गया था। अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि हत्या के आरोप के लिए "परिस्थितिजन्य साक्ष्य" और डकैती के दौरान चोरी की गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने के अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ "ठोस सबूत" था।
इस बीच, अदालत ने मामले में आठ अन्य लोगों की जमानत याचिका यह कहते हुए स्वीकार कर ली कि उनके खिलाफ ठोस और पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला हिमांशु ठाकुर, साहिल बाबू, टिंकू, संदीप, विवेक पांचाल, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, प्रिंस और अंकित चौधरी की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे।
अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी 25 और 26 फरवरी, 2020 को बने एक गैरकानूनी जमावड़े का हिस्सा थे, जिसने मुरसलीन नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। मुरसलीन का शव जौहरीपुर तिराहा के पास एक नाले में तैरता हुआ पाया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सोमवार को पारित एक आदेश में कहा, ‘‘ हिमांशु ठाकुर के पास से मृतक के मोबाइल फोन की बरामदगी और मुरसलीन की हत्या के बाद उसके परिवार के सदस्यों द्वारा इसका उपयोग दिखाने के लिए कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) के रूप में पेश किया गया साक्ष्य हत्या के आरोप के मद्देनजर एक प्रकार का परिस्थितिजन्य साक्ष्य है। ’’
हिमांशु ठाकुर पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149, 302 और 412 के तहत आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में आठ अन्य लोगों की जमानत याचिकाओं के बारे में न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ मुझे इस चरण तक कथित आरोपों के संबंध में आवेदकों के खिलाफ बहुत ठोस सबूत नहीं मिले हैं, और चूंकि सभी गवाहों की पहले ही जांच की जा चुकी है। इसलिए समानता के आधार पर मुकदमे के समापन तक आवेदकों को सलाखों के पीछे रखना उचित नहीं होगा। ’’
इसके बाद न्यायाधीश ने साहिल बाबू, टिंकू, संदीप, विवेक पांचाल, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, प्रिंस और अंकित चौधरी को 30-30 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक जमानतदार पर जमानत दे दी।