अदालत ने कहा कि सरकार के रुख के मद्देनजर इस मामले में ‘‘आगे कोई आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है।’’
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की सरकार से कहा कि वह नागरिकों के लिए शुद्ध और स्वास्थ्यकर दूध की आपूर्त्ति सुनिश्चित करे, साथ ही, यह भी सुनिश्चित करे कि मवेशी चारा के बजाय कचरा न खाएं, क्योंकि इसका दूध की गुणवत्ता और उसका सेवन करने वालों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एक महिला वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले महीने उक्त आदेश पारित किया। अर्जी में अदालत से अनुरोध किया गया था कि वह दिल्लीवासियों के लिए शुद्ध दूध की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश प्रशासन को दे। दिल्ली सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि शहर के निवासियों को शुद्ध दूध मुहैया कराने के लिए समुचित प्रयास किये जा रहे हैं और इस संबंध में पहले से नियमावली मौजूद है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर याचिकाकर्ता अपनी समस्याओं की शिकायत प्रशसान से करती हैं तो इसे कानून के अनुरूप माना जाएगा।
अदालत ने कहा कि सरकार के रुख के मद्देनजर इस मामले में ‘‘आगे कोई आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है।’’ अदालत ने याचिकाकर्ता को अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन देने की स्वतंत्रता भी प्रदान की।
पीठ ने कहा, ‘‘राज्य सरकार (जीएनसीटीडी) दिल्ली के निवासियों को शुद्ध दूध उपलब्ध कराने के लिए समुचित कदम उठाए और सुनिचित करे कि मवेशी कचरा, प्लास्टिक और कागज आदि न खाएं, क्योंकि इससे गायों के दूध की गुणवत्ता खराब होगी और उसका सेवन करने वालों पर दुष्प्रभाव होगा।’’